घाटी में…
बर्फ से ढके मौन खड़े हैं
देवदार
हवा की सरसराहट से
काँपती कोई पत्ती
जब हो जाती है बर्फ विहीन
तो सजग हो उठता है पूरा पेड़
ऊपरी सतह की पत्तियाँ
साझा कर लेती हैं
तुषार कण
साझा सुख-दुख संजीवनी है
परिवार की
***
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 9 अप्रैल को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
पाँच लिंकों का आनन्द के आमन्त्रण के लिए हृदयतल से हार्दिक आभार एवं सादर नमस्कार पम्मी जी !
बहुत सुंदर
सुन्दर प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा ।हृदयतल से हार्दिक आभार।सादर नमस्कार !
सुन्दर
सुन्दर प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा ।हृदयतल से हार्दिक आभार सर ! सादर नमस्कार !
वाह !शानदार
ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है 🙏 सुन्दर प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा ।हृदयतल से हार्दिक आभार ।
वाह ❤️
सुन्दर प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा ।हृदयतल से हार्दिक आभार शिवम जी ! सादर नमस्कार !
मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏 - "मीना भारद्वाज"
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 9 अप्रैल को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
पाँच लिंकों का आनन्द के आमन्त्रण के लिए हृदयतल से हार्दिक आभार एवं सादर नमस्कार पम्मी जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा ।हृदयतल से हार्दिक आभार।सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा ।हृदयतल से हार्दिक आभार सर ! सादर नमस्कार !
हटाएंवाह !शानदार
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है 🙏 सुन्दर प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा ।हृदयतल से हार्दिक आभार ।
हटाएंवाह ❤️
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा ।हृदयतल से हार्दिक आभार शिवम जी ! सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा ।हृदयतल से हार्दिक आभार सर ! सादर नमस्कार !
हटाएं