घाटी में…
बर्फ से ढके मौन खड़े हैं
देवदार
हवा की सरसराहट से
काँपती कोई पत्ती
जब हो जाती है बर्फ विहीन
तो सजग हो उठता है पूरा पेड़
ऊपरी सतह की पत्तियाँ
साझा कर लेती हैं
तुषार कण
साझा सुख-दुख संजीवनी है
परिवार की
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