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गुरुवार, 27 मार्च 2025

“क्षणिकाएँ “

 

समझ से परे है जीवन दर्शन की बातें 

बहुत बार .,,

अच्छा समय, अच्छे अनुभव, अच्छी बातें

ब्लैक-बोर्ड पर लिखे 

संदेश की तरह हो जाती हैं वाइप आउट 

लेकिन समस्या तब 

सुरसा सरीखा मुँह खोल देती है 

 जब हज़ार झंझटों के बाद भी

 दर्द की बातें  ..

चिपकी रह जाती है मन की दीवारों पर

उखड़े पलस्तर की मानिंद 


***

 मृगतृष्णा का आभास 

 अथाह बालू के समन्दर में ही नहीं होता

कभी-कभी हाइवे की सड़क पर 

चिलचिलाती धूप में भी

दिख जाता है बिखरा हुआ पानी

बस…,

मन में प्यास की ललक होनी चाहिए 


***