ज़िन्दगी !
तुझसे नेमत में मिले हर दर्द को मैंने
तपती रेत के सागर में..,
सूखे कण्ठ में पानी की एक बूँद सा पिया है
तुम्हारी दी हर साँस को मैंने
जी भर कर..,
नवजात शिशु समान हर पल
पहली साँस सा लिया है
कई बार जीती हूँ , कई बार हारी हूँ
जीत-हार की जंग में..,
न अपनों से शिकवा न ग़ैरों से गिला है
मिली है तू पहली बार या आख़िरी बार
इस बात को कर दरकिनार
तुम्हें इस बार मैंने ..,
पूरी शिद्दत के साथ जीया है
***
वाह ! इतनी शिद्धत से जीना आ जाये तो कोई शिकायत रहेगी कैसे
जवाब देंहटाएंआपकी प्रशंसा पाकर लेखन सार्थक हुआ ।हृदय तल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद अनीता जी ! सादर नमस्कार !
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 22 फरवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार सहित धन्यवाद आदरणीय दिग्विजय जी ! सादर नमस्कार !
हटाएंज़िन्दगी !
जवाब देंहटाएंतुझसे नेमत में मिले हर दर्द को मैंने
तपती रेत के सागर में..,
सूखे कण्ठ में पानी की एक बूँद सा पिया है
दुख हो या सुख बस स्वीकार कर ले हृदय से...क्योंकि क ई बार जिंदगी ऑप्शन नहीं देती...फिर शांति से या माथा पीटकर दिन तो गुजारने ही होते हैं...
और ऐसे सिद्दतसे जी ले तो बात ही क्या !
बहुत ही चिंतनपरक एवं लाजवाब सृजन ।
आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ । हृदय तल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद सुधा जी ! सादर नमस्कार !
हटाएंVery Nice Post.....
जवाब देंहटाएंWelcome to my blog
Thanks !! Surely i will visit your blog .
हटाएंवाह! बहुत खूब, जिंदगी जीओ तो ऐसे जियो।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद रूपा जी ! सादर नमस्कार !
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद सर ! सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंइसे जी लेने में ही भलाई है वरना जिंदगी बहुत कठोर भी है सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद नासवा जी ! सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंअप्रतिम
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद मनोज जी ! सादर नमस्कार !
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