धूप खुल कर हँसी हैं
कई दिनों के बाद
ठिठुरन से अकड़ी कोंपलें
अभी-अभी अँगड़ाई के मूड में
आईं ही थीं कि..,
वह नटखट लड़की सी
जा छिपी बादल की गोद में
🍁
माना खूबसूरती में गुलाब का
कोई सानी नहीं ..,
मगर उसकी महक अब
कहीं खो सी गई है
शायद इसीलिए आजकल
अपनी आँखें…,
गुलमोहर को ढूँढती हैं
🍁
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 16 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार सहित धन्यवाद आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी !
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंहृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार सर !
हटाएंप्रकृति का सुंदर शब्द चित्रण !
जवाब देंहटाएंहृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
जवाब देंहटाएंमनमोहक सी क्षणिकाएं जो बात कुछ और ही कह रही
बहुत ही लाजवाब👌👌
हृदयतल से धन्यवाद सुधा जी ! आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।
हटाएंसस्नेह आभार ।
बहुत सुंदर रचना।
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जवाब देंहटाएंहृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार रूपा सिंह जी !
बहुत खूबसूरत सृजन
जवाब देंहटाएंहृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार भारती जी !
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