मैंने बचपन से कहा -
“चलो ! बड़े हो जाए !”
उसने दृढ़ता से कहा -
ऐसा मत करना !
अगर हमारे बीच
बड़प्पन की दरार आई तो
एक दिन खाई बन जाएगी
तुम्हें पता तो है -
खाई को पाटना तुम्हारे और मेरे लिए
कितना मुश्किल हो जाएगा
क्योंकि..,
“गया वक़्त दुबारा नहीं लौटता ।”
🍁
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏
- "मीना भारद्वाज"