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शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

हाइकु

क्षिlतिज पार -

शक्रचाप को देख 

रवि मुस्काया ।



हरी दूब में -

तिनके बटोरती

नन्ही गौरैया ।



रिक्त गेह में -

नीम पर चहके

नव जीवन ।



प्यासा पपीहा -

ताके नभ की ओर

भरी धूप में ।



ढलती साँझ -

सागर की गोद में

सोया सूरज ।


***

10 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द रविवार 17 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. पाँच लिंकों का आनन्द में “हाइकु” सम्मिलित करने के लिए सादर आभार सहित धन्यवाद यशोदा जी !

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  3. उत्तर
    1. हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार सर !

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  5. प्रकृति को सरल शब्दों में बयां करती सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  6. हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रूपा सिंह जी!

    जवाब देंहटाएं
  7. हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार नासवा जी !

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"