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शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

हाइकु

क्षिlतिज पार -

शक्रचाप को देख 

मुस्काया रवि ।



हरी दूब में -

तिनके बटोरती

नन्ही गौरैया ।



रिक्त गेह में -

नीम पर चहके

नव जीवन ।



प्यासा पपीहा -

ताके नभ की ओर

भरी धूप में ।



ढलती साँझ -

सागर की गोद में

सोया सूरज ।


***

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- "मीना भारद्वाज"