कभी-कभी सोचती हूँ
जीवन क्या है ?
एक रंगहीन सा
ख़ाली कैनवास …,
जिसको जन्म से साथ लेकर
पैदा होता है इन्सान
समय के साथ..,
अनुभवों से लबरेज़
अनगिनत रंग भरी कटोरियाँ
उम्र भर..,
इसके फलक पर निरन्तर
ढुलकती रहती हैं
और फिर…,
तैयार होती है -
कुदरत की अद्भुत,अकल्पनीय
आर्ट-गैलरी ..,
जिसमें समाहित है
अपने आप में विविधताओं से परिपूर्ण
अनेकों लैण्डस्केप..,
प्रकृति में यह प्रक्रिया अनवरत
बिना रूके , बिना गतिरोध
चलती रहती है
शायद..,
इसी का नाम जीवन है
***
जीवन की अति सुंदर परिभाषा !!
जवाब देंहटाएंहृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !
जवाब देंहटाएंजी हाँ मीना जी। वास्तव में इसी का नाम जीवन है।
जवाब देंहटाएंहृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार जितेन्द्र जी !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शुक्रवार 08 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय तल आभार आ. दिग्विजय जी ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंहृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार हरीश जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंहृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार जोशी सर !
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ओंकार सर !
जवाब देंहटाएंजीवन की परिभाषा प्रस्तुत करती बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंहृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रूपा सिंह जी!
जवाब देंहटाएंसही कहा मीनाजी,
जवाब देंहटाएंकुदरत की अद्भुत,अकल्पनीय
आर्ट-गैलरी ..,
जिसमें समाहित है
अपने आप में विविधताओं से परिपूर्ण
अनेकों लैण्डस्केप..,
और हम अपना नजरिया बदलकर जीवन को जंग के रूप में देखने लगते है फिर जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि हो जाती है।
लेखनी को सार्थकता प्रदान करने के लिए हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार सुधा जी !
जवाब देंहटाएं