कभी-कभी सोचती हूँ
जीवन क्या है ?
एक रंगहीन सा
ख़ाली कैनवास …,
जिसको जन्म से साथ लेकर
पैदा होता है इन्सान
समय के साथ..,
अनुभवों से लबरेज़
अनगिनत रंग भरी कटोरियाँ
उम्र भर..,
इसके फलक पर निरन्तर
ढुलकती रहती हैं
और फिर…,
तैयार होती है -
कुदरत की अद्भुत,अकल्पनीय
आर्ट-गैलरी ..,
जिसमें समाहित है
अपने आप में विविधताओं से परिपूर्ण
अनेकों लैण्डस्केप..,
प्रकृति में यह प्रक्रिया अनवरत
बिना रूके , बिना गतिरोध
चलती रहती है
शायद..,
इसी का नाम जीवन है
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