नभ-आँगन
कोजागरी यामिनी
पूर्ण मयंक
आँख मिचौली खेले
अभ्र ओट मे
प्रफुल्लित हर्षित
साँवली घटा
देख ज्योत्सना छटा
धरा गोद में
रवितनया तीरे
श्री जी के संग
महारास में लीन
कृष्ण मुरारी
यशुमति नन्दन
शत शत वन्दन
***
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शनिवार 19 अक्टूबर 2024 को लिंक की जाएगी ....http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!!
पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय तल आभार 🙏
सुन्दर अभिव्यक्ति
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय तल से आभार ।
सुन्दर
सृजन को सार्थक करती सराहना हेतु हार्दिक आभार सर !
बहुत ही सुन्दर
कमाल के भाव ... शरद की पूर्णिमा का अलग ही रूप होता है ...
सृजन को सार्थक करती सराहना हेतु हार्दिक आभार नासवा जी !
बहुत बढ़िया
हार्दिक आभार ज्योति जी !
मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏 - "मीना भारद्वाज"
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शनिवार 19 अक्टूबर 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय तल आभार 🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय तल से आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थक करती सराहना हेतु हार्दिक आभार सर !
हटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थक करती सराहना हेतु हार्दिक आभार सर !
हटाएंकमाल के भाव ... शरद की पूर्णिमा का अलग ही रूप होता है ...
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थक करती सराहना हेतु हार्दिक आभार नासवा जी !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार ज्योति जी !
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