नभ-आँगन
कोजागरी यामिनी
पूर्ण मयंक
आँख मिचौली खेले
अभ्र ओट मे
प्रफुल्लित हर्षित
साँवली घटा
देख ज्योत्सना छटा
धरा गोद में
रवितनया तीरे
श्री जी के संग
महारास में लीन
कृष्ण मुरारी
यशुमति नन्दन
शत शत वन्दन
***
नभ-आँगन
कोजागरी यामिनी
पूर्ण मयंक
आँख मिचौली खेले
अभ्र ओट मे
प्रफुल्लित हर्षित
साँवली घटा
देख ज्योत्सना छटा
धरा गोद में
रवितनया तीरे
श्री जी के संग
महारास में लीन
कृष्ण मुरारी
यशुमति नन्दन
शत शत वन्दन
***
धारा समय की दिनोंदिन
आगे बढ़ती जाएगी
सच कहूँ ..,
बीते दिनों की बहुत याद आएगी
पता था ये दिन
आगे ऐसे न रहेंगे
बदलेंगे कल हम
पहले जैसे न दिखेंगे
देखते ही देखते
अजनबीयत बढ़ती जाएगी
सच कहूँ ..,
बीते दिनों की बहुत याद आएगी
कच्ची सी धूप को
वक़्त पर पकना ही था
व्यवहारिक से दायरों में
हम सबको बँधना ही था
संबंधों में अनुबंधों की
कहानी दोहराई जाएगी
सच कहूँ..,
बीते दिनो की बहुत याद आएगी
***