सालों-साल पहले
तुमने पेन से डेस्क को खुरच कर
एक तस्वीर बना कर
दिखाते हुए कहा था - “ देखो !”
मुझे लड़की की आँखें
पनीली सी लगी
देखते ही एकबारगी लगा
यह तुम हो…,
तुम्हारी आँखों में भरा पानी
भी तो यूँ ही दिखा करता है
जिसे देख लोग कहा करते थे -
“उसकी आँखें वॉटरी-वॉटरी हैं”
मैं जानती थी तुम ख़फ़ा हो
कभी खुद से तो कभी
ज़माने से…,
वक़्त बदला और उसके साथ हम भी
सुना है-
“वह स्कूल अब बन्द हो गया है”
मुझे डेस्क वाली लड़की के साथ
और लड़कियों की भी
बहुत फ़िक्र है
क्या तुम्हें भी है ?
***
सोमवार, 4 मार्च 2024
“फिक्र”
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बिछड़े संगी साथियों की फ़िक्र तो होती ही रहती है "पता नहीं वो कहां होंगे कैसे होगें"ये बातें जानने के लिए मन हमेशा उत्सुक रहता है। आप तो बीते जमाने की ओर ले गई मीना जी, सुन्दर सृजन 🙏
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थक करती आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार कामिनी जी ! सस्नेह नमस्कार !
हटाएंअतीत और वर्तमान प्रभावी चित्रण
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ, बहुत दिनों बाद आपकी उपस्थिति पाकर बेहद खुशी हुई ।हृदयतल से हार्दिक आभार खरे सर ! सादर नमस्कार 🙏
हटाएंजिसे देख लोग कहा करते थे -
जवाब देंहटाएं“उसकी आँखें वॉटरी-वॉटरी हैं”
मैं जानती थी तुम ख़फ़ा हो
कभी खुद से तो कभी
ज़माने से…,
वाह!!!
पनीली आँखें वॉटरी वॉटरी सी
बहुत ही सुंदर अतीती स्मृतियाँ ।
सृजन को सार्थक करती आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार सुधा जी ! सस्नेह नमस्कार !
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 05 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से आभार । सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थक करती सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार हरीश जी ! सादर नमस्कार !
हटाएंबचपन की यादें वैसे भी मन को नम कर देती हैं और नयनों को वाटरी ! सुंदर सृजन मीना जी !
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थक करती आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार अनीता जी ! सस्नेह नमस्कार !
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थक करती सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार आ.आलोक सिन्हा जी ! सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंवाह! मीना जी ,क्या बात है बहुत खूबसूरत....दिल की नमी आँखों से दिखाई देती है ।
जवाब देंहटाएंअनमोल सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला शुभा जी ! हृदयतल से हार्दिक आभार एवं सस्नेह नमस्कार !
जवाब देंहटाएंपनीली आँखों में भरे
जवाब देंहटाएंअल्हड़पन के सारे स्वप्न
समय की रेत पर गिरे
कुछ मोती बने
कुछ बादल बने
कुछ भाप बने, सूख गये।
पनीली आँखों की स्मृतियों ने
फिर आज आँखों को
वॉकरी कर दिया..।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी।
सस्नेह।
पनीली आँखों में भरे
जवाब देंहटाएंअल्हड़पन के सारे स्वप्न
समय की रेत पर गिरे
कुछ मोती बने
कुछ बादल बने
कुछ भाप बने, सूख गये।
पनीली आँखों की स्मृतियों ने
फिर आज आँखों को
वॉकरी कर दिया..।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी।
सस्नेह।
*वॉटरी*
हटाएंअति सुन्दर !! भावपूर्ण कृति द्वारा सृजन को मान एवं सार्थकता मिली एवं लेखनी को ऊर्जा ।आपका हृदयतल से हार्दिक आभार श्वेता !सस्नेह नमस्कार !
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से हार्दिक आभार सर ! सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से हार्दिक आभार मनोज जी ! सादर नमस्कार !
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