💐होली की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐
रविवार, 24 मार्च 2024
“लैण्ड-स्केप”
शुक्रवार, 15 मार्च 2024
कविताएँ
अनुभूतियों की गठरी में बंधी
जी रही हैं मेरी कविताएँ
मेरे साथ-साथ
ज़िद्दी बच्चे सी
थामे आँचल का छोर
डोलती रहती हैं
मेरे आगे-पीछे,मेरे साथ-साथ
फ़ुर्सत के लम्हों में
जब सोचती हूँ करना इन्हें साकार
तो सरक कर धीमे से
फिसल जाती हैं इधर- उधर
शब्द थक हार जाते हैं
इनकी मनुहार करते-करते
कोई बात नहीं…,
अपनी हैं , अपनी ही रहेंगी
मुझ में रम कर देती हैं
मुझको सुकून..,
जिस दिन ले लेंगी अपना रूप
सबको अपनापन देंगी
***
सोमवार, 4 मार्च 2024
“फिक्र”
सालों-साल पहले
तुमने पेन से डेस्क को खुरच कर
एक तस्वीर बना कर
दिखाते हुए कहा था - “ देखो !”
मुझे लड़की की आँखें
पनीली सी लगी
देखते ही एकबारगी लगा
यह तुम हो…,
तुम्हारी आँखों में भरा पानी
भी तो यूँ ही दिखा करता है
जिसे देख लोग कहा करते थे -
“उसकी आँखें वॉटरी-वॉटरी हैं”
मैं जानती थी तुम ख़फ़ा हो
कभी खुद से तो कभी
ज़माने से…,
वक़्त बदला और उसके साथ हम भी
सुना है-
“वह स्कूल अब बन्द हो गया है”
मुझे डेस्क वाली लड़की के साथ
और लड़कियों की भी
बहुत फ़िक्र है
क्या तुम्हें भी है ?
***