तुम्हारी ठहरी सी आवाज सुन
मेरा अन्तस मुस्कुरा दिया -
चलो ! अच्छा है ..,
तुम्हारे मन की थाह पाकर
मेरी उम्र के कुछ और
बरसों को उड़ान की ख़ातिर
पंख मिल गए ।
*
दुनिया देखने के लिए
मेरे लिए.,
मेरा अपना चश्मा ही ठीक है
तुम्हारे चश्मे के शीशों के
उस पार..,
मुझे सब कुछ धुंधला सा
नज़र आता है जिसको देख
मेरा मन ..,
बहुत किन्तु-परन्तु करता है
*
तुम्हारी ठहरी सी आवाज सुन
जवाब देंहटाएंमेरा अन्तस मुस्कुरा दिया -
चलो ! अच्छा है ..,
तुम्हारे मन की थाह पाकर
मेरी उम्र के कुछ और
बरसों को उड़ान की ख़ातिर
पंख मिल गए ।
बहुत ही सुन्दर भाव अभिव्यक्ति मीना जी 🙏
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हृदयतल से हार्दिक आभार कामिनी जी ! सादर सस्नेह नमस्कार!
हटाएंआहा... मन में उतरती सुंदर अभिव्यक्ति दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह प्रणाम।
----
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ फरवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से आभार श्वेता जी ! पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से आभार । सस्नेह नमस्कार !
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार सहित सादर नमस्कार जोशी सर !
जवाब देंहटाएंदुनिया देखने के लिए
जवाब देंहटाएंमेरे लिए.,
मेरा अपना चश्मा ही ठीक है
तुम्हारे चश्मे के शीशों के
उस पार..,
मुझे सब कुछ धुंधला सा
नज़र आता है जिसको देख
मेरा मन ..,
बहुत किन्तु-परन्तु करता है।
वाह!!!
क्या बात...
हर किसी का अपना नजरिया है
लाजवाब सृजन ।
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हृदयतल से हार्दिक आभार सुधा जी ! सादर सस्नेह नमस्कार!
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार सहित सादर नमस्कार सर !
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार सहित सादर नमस्कार हरीश जी !
जवाब देंहटाएंमन की गहराइयों में उतरती सुंदर भावाभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार सहित सादर नमस्कार जिज्ञासा जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार सहित सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएं