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शनिवार, 30 दिसंबर 2023

“समय-देहरी”

धीरे-धीरे समय का

रिक्त घट

आज की देहरी पर

आन खड़ा है 

परिवर्तित होने कल में


आने वाला कल भी 

खड़ा है देहरी के 

उस पार..

समय के भरे घट 

के साथ 


फिर वही दिन..,

 फिर वही रात 

नई उमंगें…,

नये संकल्प नई आशाओं

 के साथ 


समय-घट..,

भरता है ,रीतता है 

और हम

 आज के आँगन में

उसी के साथ खड़े हो कर

आकलन करते हैं 


बीते कल का..,

आने वाले कल के साथ ।।


***

बुधवार, 27 दिसंबर 2023

“हाइकु”

रश्मि को देख

आसमान में छिपा

भोर का तारा ।


 मोती के जैसी

धूप में चमकती

ओस की बूँद ।


श्वेत वसन

धरती ने पहने

शीत ऋतु में ।


ढलती साँझ

ठिठुरन भगाए

चाय का कप ।


धीमे से बजी

पत्तियाँ मेपल की

सर्द रात में ।

                             

सर्दी की रात

पत्तों के कम्बल में

लिपटा चाँद ।


***

गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

“पंछी”


                      
पंछी नभ में एक अकेला 

जाने किस तलाश में धूल भरी राह में

मंजिल समीप है बस इसी अनुमान में

हवाओं के जोर में नभ के बहुत शोर में

तिनके सा उड़ चला बिसरा संगियों का रेला


रह गया नभ में अकेला 


भ्रमित सा इत-उत उड़े साथी ढूँढता फिरे

भूख और प्यास से प्राण भी संत्रास में

जाने क्यों गुरूर कर हवाओं का रुख़ भूल कर

पाला उसने ख़ुद झमेला 


हो गया नभ में  अकेला 


थक-हार टूटकर गिरा तरू की डाल पर

चारों तरफ देख कर टूटे पंख समेट कर

ग़लतियों से सीख कर मन ही मन यह प्रण किया

दोहरायेगा न जो अब झेला


पंछी तरू पर एक अकेला 

 

***