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सोमवार, 27 नवंबर 2023

“क्षणिकाएँ”

“स्त्रियाँ”


अपनी उपस्थिति 

दर्ज करवाने की चाह में कि - 

“मैं भी हूँ ..”,

 उनका मौन मुखर 

होते होते रह जाता है 

और..,

अवसर मिलने तक

अभिव्यक्ति गूंगेपन का

सफ़र तय कर लेती है 

 

*


“प्रेम”

 

भग्नावशेषों और चट्टानों 

की देह पर अक्सर 

उगा दीखता है प्रेम

सोचती हूँ…,

अमरता की चाह में

 अपने ही हाथों प्रेम को

लहूलुहान..,

 कर देता है आदमी


*

20 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुन्दर सराहना हेतु आभार सहित धन्यवाद सर ! सादर वन्दे !

      हटाएं
  2. गहन भाव लिए अत्यंत सारगर्भित क्षणिकाएँ हैं दी।
    सस्नेह प्रणाम।
    सादर।
    ------

    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार २८ नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. गहन भाव लिए अत्यंत सारगर्भित क्षणिकाएँ हैं दी।
    सस्नेह प्रणाम।
    सादर।
    ------

    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार २८ नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना और आमन्त्रण के लिए हार्दिक धन्यवाद प्रिय श्वेता जी ! सादर सस्नेह …,।

      हटाएं
  4. सुन्दर सराहना हेतु आपका आभार सहित धन्यवाद ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  5. दोनों क्षणिकाएँ दिल को छू जाती हैं

    जवाब देंहटाएं
  6. हृदयतल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद अनीता जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  7. आपकी ये दोनों ही क्षणिकाएं प्रशंसनीय हैं।

    जवाब देंहटाएं
  8. हृदयतल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद जितेंद्र जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  9. लाजबाब क्षणिकाएं

    जवाब देंहटाएं
  10. आपका हृदयतल हार्दिक आभार एवं धन्यवाद 🙏

    जवाब देंहटाएं
  11. हृदयतल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद नासवा जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  12. प्रेम और स्त्री को पुर्णतः परिभाषित करती बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं मीना जी,🙏

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  13. हृदयतल से आभार एवं धन्यवाद कामिनी जी ! सादर सस्नेह वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  14. वाह!!!
    बहुत हीलाजवाब चिंतनपरक क्षणिकाएं।

    अवसर मिलने तक

    अभिव्यक्ति गूंगेपन का

    सफ़र तय कर लेती है
    बहुत सटीक ः

    जवाब देंहटाएं
  15. वाह!!!
    बहुत हीलाजवाब चिंतनपरक क्षणिकाएं।

    अवसर मिलने तक

    अभिव्यक्ति गूंगेपन का

    सफ़र तय कर लेती है
    बहुत सटीक ः

    जवाब देंहटाएं
  16. हृदयतल से आभार एवं धन्यवाद सुधा जी ! सादर सस्नेह वन्दे !

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"