“स्त्रियाँ”
अपनी उपस्थिति
दर्ज करवाने की चाह में कि -
“मैं भी हूँ ..”,
उनका मौन मुखर
होते होते रह जाता है
और..,
अवसर मिलने तक
अभिव्यक्ति गूंगेपन का
सफ़र तय कर लेती है
*
“प्रेम”
भग्नावशेषों और चट्टानों
की देह पर अक्सर
उगा दीखता है प्रेम
सोचती हूँ…,
अमरता की चाह में
अपने ही हाथों प्रेम को
लहूलुहान..,
कर देता है आदमी
*
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर सराहना हेतु आभार सहित धन्यवाद सर ! सादर वन्दे !
हटाएंगहन भाव लिए अत्यंत सारगर्भित क्षणिकाएँ हैं दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह प्रणाम।
सादर।
------
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २८ नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
गहन भाव लिए अत्यंत सारगर्भित क्षणिकाएँ हैं दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह प्रणाम।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २८ नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सराहना और आमन्त्रण के लिए हार्दिक धन्यवाद प्रिय श्वेता जी ! सादर सस्नेह …,।
हटाएंअच्छा लिखा आपने
जवाब देंहटाएंसुन्दर सराहना हेतु आपका आभार सहित धन्यवाद ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंदोनों क्षणिकाएँ दिल को छू जाती हैं
जवाब देंहटाएंहृदयतल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद अनीता जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंआपकी ये दोनों ही क्षणिकाएं प्रशंसनीय हैं।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद जितेंद्र जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंलाजबाब क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंआपका हृदयतल हार्दिक आभार एवं धन्यवाद 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरे भाव ... मारक ...
जवाब देंहटाएंहृदयतल से हार्दिक आभार एवं धन्यवाद नासवा जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंप्रेम और स्त्री को पुर्णतः परिभाषित करती बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं मीना जी,🙏
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार एवं धन्यवाद कामिनी जी ! सादर सस्नेह वन्दे !
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत हीलाजवाब चिंतनपरक क्षणिकाएं।
अवसर मिलने तक
अभिव्यक्ति गूंगेपन का
सफ़र तय कर लेती है
बहुत सटीक ः
वाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत हीलाजवाब चिंतनपरक क्षणिकाएं।
अवसर मिलने तक
अभिव्यक्ति गूंगेपन का
सफ़र तय कर लेती है
बहुत सटीक ः
हृदयतल से आभार एवं धन्यवाद सुधा जी ! सादर सस्नेह वन्दे !
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