ऊषा रश्मि की चंचल चितवन,
देख धरा मुस्कुराई ।
सिमटी - ठिठुरी तुषार चादर,
रवि ने ली अंगड़ाई ।
भ्रमर पुंज की गुनगुन सुनकर,
कलियाँ भी इठलाई ।
द्विज वृन्दों की मिश्रित सरगम,
नव जागृति ले लाई ।
विटप ओट कूदा मृग शावक,
पात शाख लहराई ।
तीखी तीर सी शीत समीरण,
धूप कुनकुनी छाई ।
गणतन्त्र की बेला अति शुभ,
साथी बहुत बधाई ।
🍁
🌹🙏गणतन्त्र दिवस एवं बसन्त पञ्चमी की हार्दिक
शुभकामनाएँ 🌹🙏
जय हिन्द !! जय भारत !!
बसंत ऋतु और देशभक्ति का सुंदर समन्वय अति मनभावन रचना दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० जनवरी २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । स्नेहिल उपस्थिति के लिए आभारी हूँ श्वेता ! आपके पाँच लिंकों का आनन्द का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार । सादर सस्नेह..।
जवाब देंहटाएंइस प्रभात बेला का आनंद ही कुछ और है । वृक्ष के पीछे से भागता हिरण चलचित्र की भाँति दिख गया ।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ ।।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला ।हृदय से असीम आभार आ. दीदी ! आपको भी गणतंत्र दिवस और बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ । सादर सस्नेह वन्दे ।
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
जवाब देंहटाएंशानदार कृति
सादर
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला।सादर आभार सहित सादर सस्नेह वन्दे ।
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही मनमोहक लाजवाब सृजन मीनाजी ! बहुत बहुत बधाई सुंदर सृजन हेतु ।
हार्दिक शुभकामनाएं ।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला सुधा जी ! हार्दिक शुभकामनाएँ सहित आपका हार्दिक आभार । सादर सस्नेह वन्दे ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला।बहुत बहुत आभार सहित सादर वन्दे ।
हटाएंआदरणीया मीना भरद्वाज जी ! वन्दे मातरम !
जवाब देंहटाएंउत्तम रचना ! अभिनन्दन !
आपको बसंत पर्व एवं गणोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए !
जय हिन्द ! जय श्री कृष्ण जी !
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला।बहुत बहुत आभार सहित सादर वन्दे ।
हटाएंगणतंत्र के साथ बसंत का आगमन ... ईश्वर की कृपा प्रकृति और देश पर सदा रहे ... सुन्दर रचना है ...
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला।बहुत बहुत आभार सहित सादर वन्दे ।
हटाएंऊषा रश्मि की चंचल चितवन,
जवाब देंहटाएंदेख धरा मुस्कुराई ।
सिमटी - ठिठुरी तुषार चादर,
रवि ने ली अंगड़ाई ।
प्रकृति की सुन्दर छवि सी मनोहारी सृजन मीना जी 🙏
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।आपका हार्दिक आभार कामिनी जी ! सादर सस्नेह वन्दे ।
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