ऊषा रश्मि की चंचल चितवन,
देख धरा मुस्कुराई ।
सिमटी - ठिठुरी तुषार चादर,
रवि ने ली अंगड़ाई ।
भ्रमर पुंज की गुनगुन सुनकर,
कलियाँ भी इठलाई ।
द्विज वृन्दों की मिश्रित सरगम,
नव जागृति ले लाई ।
विटप ओट कूदा मृग शावक,
पात शाख लहराई ।
तीखी तीर सी शीत समीरण,
धूप कुनकुनी छाई ।
गणतन्त्र की बेला अति शुभ,
साथी बहुत बधाई ।
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🌹🙏गणतन्त्र दिवस एवं बसन्त पञ्चमी की हार्दिक
शुभकामनाएँ 🌹🙏
जय हिन्द !! जय भारत !!