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मंगलवार, 4 अक्टूबर 2022

“सुख स्त्रोत”



घनी हरीतिमा बीच बसा

यह कैसा उपवन है 

सघन घरों के कानन में

रम्य मनोहर आँगन है


बादल घिरते साँझ सकारे

सृष्टि का मंजुल वर है

मन वितान अगरू सा महके

मधुरम पाखी कलरव है 


अनुपम थाती वात्सल्य की

कभी सुख है कभी दुख है

सौरभमय मृदुल बयार सा

जीवन - राग यही है 


राग-द्वेष और ईर्ष्या-छल से

मुक्त देवालय सम है 

दिव्य स्त्रोत परमानन्द का

प्रथम वसन्त सुमन है


मृग छौने सा चंचल चित्त

करता इसमें विचरण है

ईश्वर के वरदान सदृश 

नैसर्गिक सुख -सार यही है 


***

15 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 5 अक्टूबर 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम

    जवाब देंहटाएं
  2. पाँच लिंकों का आनन्द में रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।
    सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  3. प्राकृतिक सौंदर्य के साथ गहन दर्शन का समावेश करती मृदुल मनोहर काव्य मीना जी।
    अभिनव सुंदर।

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  4. आपका स्नेह सदैव लेखनी को ऊर्जा प्रदान करता है । हृदय से असीम आभार कुसुम जी ! सादर वन्दे !

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  5. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुज ।

    जवाब देंहटाएं

  6. राग-द्वेष और ईर्ष्या-छल से
    मुक्त देवालय सम है
    दिव्य स्त्रोत परमानन्द का
    प्रथम वसन्त सुमन है
    ....अद्भुत काव्य सौंदर्य ।
    बधाई मीना जी ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ! सादर वन्दे!

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी स्नेहिल उपस्थिति ने सृजन का मान बढ़ाया आ . दी ! धन्यवाद सहित सस्नेह सादर वन्दे !

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  9. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।आपका हृदय से असीम आभार ।

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  10. मनोबल संवर्द्धन के लिए हार्दिक आभार अमृता जी 🙏

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  11. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    let's be friend

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"