“मौन”
मौन के गर्भ में निहित है
अकाट्य सत्य
सत्य के काँटों की फांस
भला..,
किसको भली लगती है
“जीओ और जीने दो”
के लिए ..,
सदा सर्वदा आवश्यक है
सत्य का मौन होना ।
“तृष्णा”
न जाने क्यों..?
ऊषा रश्मियों में नहाए
स्वर्ण सदृश सैकत स्तूपों पर उगी
विरल झाड़ियाँ..,
मुझे बोध कराती है तृष्णा का
जो कहीं भी कभी भी
उठा लेती है अपना सिर..,
और फिर दम तोड़ देती हैं
सूखते जलाशय की
शफरियों की मानिन्द ।
“शब्द”
विचार खुद की ख़ातिर
तलाशते हैं शब्दों का संसार
शब्दों की तासीर
फूल सरीखी हो तो अच्छा है
शूल का शब्दों के बीच क्या काम
क्योंकि..,
सबके दामन में अपने-अपने
हिस्से के शूल तो
पहले से ही मौजूद हैं ।
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 20 सितम्बर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार आ . यशोदा जी ! सादर..।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-9-22} को "मानवता है भंग"(चर्चा अंक 4557) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच के 4557वें चर्चा अंक में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंसार्थक सटीक चिंतनपरक रचनाएं सखी
जवाब देंहटाएंआपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थक किया सखी ! हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंहर क्षणिका लाजवाब । अंतिम तो बिल्कुल मारक 👌👌👌
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना और स्नेहिल उपस्थिति से सृजन सार्थक हुआ ।हार्दिक आभार.., सस्नेह सादर वन्दे 🙏
हटाएंवाह ! कितनी सुंदर क्षणिकाएं ।
जवाब देंहटाएंसब एक से बढ़कर एक और सारगर्भित।
इतने गहन विचार ! आनंद आ गया पढ़कर !
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । बहुत बहुत आभार 🙏
जवाब देंहटाएंमीना जी मौन तृष्णा और शब्द का आपने दुर्लभ सा शोधात्मक विश्लेषण दिया है जो की अप्रतिम अद्भुत ही नहीं सटीक भी है।
जवाब देंहटाएंचिंतन परक लघु रचनाएं।
बहुत सुंदर।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया सदैव लेखनी को ऊर्जा प्रदान करती है और मेरा उत्साहवर्धन करती है । हृदयतल से हार्दिक आभार कुसुम जी !
हटाएंफूल सरीखी, मर्म स्पर्शी क्षणिकाएँ.... जैसे कोरे पन्ने पर स्वयं ही अंकित हो गया हो।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया सदैव लेखनी को ऊर्जा प्रदान करती है और मेरा उत्साहवर्धन करती है । हृदयतल से हार्दिक आभार अमृता जी !
हटाएंमर्म स्पर्शी क्षणिकाएँ.....मीना जी
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।
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