मेरी कविताओं में
गुम है एक औरत
इससे पहले कि ..,
थाह लूं उसके मन की
हवा के झोंके सी..,
वह निकल जाती है
मेरी पहुँच से परे ।
🍁
भावनाएँ सोते सी
बहती बहती रूक जाती हैं
यकबयक..
बड़े ताकतवर हैं
अनचीन्हे अवरोध के पुल ।
🍁
झील के तल का अंधकार
खींच रहा है नाव को अपनी ओर
लेकिन वह भी..,
ज़िद्दी लड़की सी ,लहरों से लड़ती
अपनी ही धुन में मगन
चली जा रही है..,
इस किनारे से उस किनारे ।
🍁
वाह! सुंदर क्षणिकाएँ भाव गांभीर्य का वहन करती हुई।
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थकता प्रदान करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आ. विश्वमोहन जी 🙏
हटाएंबहुत सुन्दर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंगहन अर्थ लिए
भावनाएँ सोते सी
बहती बहती रूक जाती हैं
यकबयक..
बड़े ताकतवर हैं
अनचीन्हे अवरोध के पुल ।
वाह!!!
सृजन को सार्थकता प्रदान करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुधा जी !
हटाएंबेहतरीन क्षणिकाएँ .
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार 5 सितम्बर ,2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
क्षमा चाहती हूँ आ. दी ! आमन्त्रण स्पैम में होने के कारण देर से प्रकाशित हुआ ।आमन्त्रण के लिए हार्दिक आभार ।
हटाएंआपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ आ. दीदी !
जवाब देंहटाएंहृदय से असीम आभार 🙏
बहुत सुंदर क्षणिकाएं।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी ।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार(०५-०९ -२०२२ ) को 'शिक्षा का उत्थान'(चर्चा अंक-४५४३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चा मंच की चर्चा में सृजन को सम्मिलित करने के लिए बहुत बहुत आभार अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंआपकी क्षणिकाएँ निश्चय ही सराहनीय हैं आदरणीया मीना जी। लेकिन देश और समाज को आप जैसे प्रतिभाशाली एवं संवेदनशील लोगों से कुछ और भी अपेक्षा है। यह समय और यह वातावरण कुछ अतिरिक्त साहस एवं कुछ निष्पक्ष करूणा से ओतप्रोत स्वर की माँग करता है। पूर्ण कीजिए।
जवाब देंहटाएंसृजन के माध्यम से “स्व” की खोज और विद्वजनों के बीच मेरी सीखने की यात्रा जारी है जितेन्द्र जी ! आचार्य महावीर प्रसाद जी के कथन “साहित्य समाज का दर्पण है” तक पहुँचने के लिए हम सबको प्रयास जारी रखने होंगे । आपने मेरी लेखनी में चिन्तन को अनुभव किया यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है । आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया और सुझाव अनमोल है । हृदय से असीम आभार !
हटाएंअवरोधों के शक्तिशाली ,घुटन भरे पुल के दूसरी ओर प्रतीक्षा में है एक इंद्रधनुषी रंगों वाला खूबसूरत सा आसमान जिसपर लगी चटकीली खुशियाँ आपके लिए है सिर्फ़ आपके लिए।
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी।
सस्नेह प्रणाम।
निःशब्द हूँ श्वेता आपकी स्नेहिल शुभकामनाओं के लिए । मान भरे अनमोल उद्गारों के लिए हृदयतल से असीम आभार । सस्नेह…,
हटाएंमेरी कविताओं में
जवाब देंहटाएंगुम है एक औरत
इससे पहले कि ..,
थाह लूं उसके मन की
हवा के झोंके सी..,
वह निकल जाती है
मेरी पहुँच से परे ।//
बहुत ही भावुक कर देने वाली क्षणिकाएँ हैं प्रिय मीना जी।कविताओं में गुम इस औरत के मन की थाह लेने में सदियाँ लग जायेंगी पर वह हाथ नहीं आने वाली।ताजगी भरे सृजन के लिए बधाई और शुभकामनाएं आपको 🌺🌺♥️🌹
आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थक किया प्रिय रेणु जी ! आपकी स्नेहिल उपस्थिति ने लेखनी को ऊर्जा प्रदान की ।हृदय से असीम आभार 🙏🌹❤️
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सखी
शिक्षक दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ सखी ! आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।
हटाएंगागर में सागर !! भावों का दोहन करती सुंदर क्षणिकाएं, उस की ज़िद्द में एक संकल्प और आशा है जो निश्चित पूर्ण होगी।
जवाब देंहटाएंअभिनव सृजन मीना जी।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया लेखनी में नव ऊर्जा भर देती है । हार्दिक आभार कुसुम जी ! सादर सस्नेह वन्दे ।
हटाएंअथाह से उस किनारे तक जाती हुई.... कहीं वही तो नहीं! क्षण को रोकती हुई अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआपकी स्नेहिल उपस्थिति से सृजन सार्थक हुआ ।हृदय से असीम आभार अमृता जी ! सादर सस्नेह वन्दे !
जवाब देंहटाएंथाह लूं उसके मन की
जवाब देंहटाएंहवा के झोंके सी..,
वह निकल जाती है
मेरी पहुँच से परे
बेहतरीन।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंगहन भाव और चिंतन लिए सुंदर क्षणिकाएं ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी !
हटाएंबहुत सुन्दर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।
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