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रविवार, 4 सितंबर 2022

“क्षणिकाएँ”


मेरी कविताओं में

गुम है एक औरत

इससे पहले कि ..,

थाह लूं उसके मन की

हवा के झोंके सी..,

वह निकल जाती है 

मेरी पहुँच से परे ।


🍁


भावनाएँ सोते सी 

बहती बहती रूक जाती हैं 

यकबयक..

बड़े ताकतवर हैं

अनचीन्हे अवरोध के पुल ।


🍁


झील के तल का अंधकार

 खींच रहा है नाव को अपनी ओर 

लेकिन वह भी..,

ज़िद्दी लड़की सी ,लहरों से लड़ती 

अपनी ही धुन में मगन

चली जा रही है.., 

इस किनारे से उस किनारे ।


🍁

30 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! सुंदर क्षणिकाएँ भाव गांभीर्य का वहन करती हुई।

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    उत्तर
    1. सृजन को सार्थकता प्रदान करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आ. विश्वमोहन जी 🙏

      हटाएं
  2. बहुत सुन्दर क्षणिकाएं
    गहन अर्थ लिए
    भावनाएँ सोते सी

    बहती बहती रूक जाती हैं

    यकबयक..

    बड़े ताकतवर हैं

    अनचीन्हे अवरोध के पुल ।
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन को सार्थकता प्रदान करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुधा जी !

      हटाएं
  3. आपकी लिखी रचना सोमवार 5 सितम्बर ,2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. क्षमा चाहती हूँ आ. दी ! आमन्त्रण स्पैम में होने के कारण देर से प्रकाशित हुआ ।आमन्त्रण के लिए हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  4. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ आ. दीदी !
    हृदय से असीम आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी ।

    जवाब देंहटाएं
  6. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार(०५-०९ -२०२२ ) को 'शिक्षा का उत्थान'(चर्चा अंक-४५४३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. चर्चा मंच की चर्चा में सृजन को सम्मिलित करने के लिए बहुत बहुत आभार अनीता जी ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी क्षणिकाएँ निश्चय ही सराहनीय हैं आदरणीया मीना जी। लेकिन देश और समाज को आप जैसे प्रतिभाशाली एवं संवेदनशील लोगों से कुछ और भी अपेक्षा है। यह समय और यह वातावरण कुछ अतिरिक्त साहस एवं कुछ निष्पक्ष करूणा से ओतप्रोत स्वर की माँग करता है। पूर्ण कीजिए।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन के माध्यम से “स्व” की खोज और विद्वजनों के बीच मेरी सीखने की यात्रा जारी है जितेन्द्र जी ! आचार्य महावीर प्रसाद जी के कथन “साहित्य समाज का दर्पण है” तक पहुँचने के लिए हम सबको प्रयास जारी रखने होंगे । आपने मेरी लेखनी में चिन्तन को अनुभव किया यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है । आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया और सुझाव अनमोल है । हृदय से असीम आभार !

      हटाएं
  9. अवरोधों के शक्तिशाली ,घुटन भरे पुल के दूसरी ओर प्रतीक्षा में है एक इंद्रधनुषी रंगों वाला खूबसूरत सा आसमान जिसपर लगी चटकीली खुशियाँ आपके लिए है सिर्फ़ आपके लिए।
    बेहद सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी।
    सस्नेह प्रणाम।

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    उत्तर
    1. निःशब्द हूँ श्वेता आपकी स्नेहिल शुभकामनाओं के लिए । मान भरे अनमोल उद्गारों के लिए हृदयतल से असीम आभार । सस्नेह…,

      हटाएं
  10. मेरी कविताओं में
    गुम है एक औरत
    इससे पहले कि ..,
    थाह लूं उसके मन की
    हवा के झोंके सी..,
    वह निकल जाती है
    मेरी पहुँच से परे ।//
    बहुत ही भावुक कर देने वाली क्षणिकाएँ हैं प्रिय मीना जी।कविताओं में गुम इस औरत के मन की थाह लेने में सदियाँ लग जायेंगी पर वह हाथ नहीं आने वाली।ताजगी भरे सृजन के लिए बधाई और शुभकामनाएं आपको 🌺🌺♥️🌹

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  11. आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थक किया प्रिय रेणु जी ! आपकी स्नेहिल उपस्थिति ने लेखनी को ऊर्जा प्रदान की ।हृदय से असीम आभार 🙏🌹❤️

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  12. बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं
    शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सखी

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    उत्तर
    1. शिक्षक दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ सखी ! आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।

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  13. गागर में सागर !! भावों का दोहन करती सुंदर क्षणिकाएं, उस की ज़िद्द में एक संकल्प और आशा है जो निश्चित पूर्ण होगी।
    अभिनव सृजन मीना जी।

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    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया लेखनी में नव ऊर्जा भर देती है । हार्दिक आभार कुसुम जी ! सादर सस्नेह वन्दे ।

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  14. अथाह से उस किनारे तक जाती हुई.... कहीं वही तो नहीं! क्षण को रोकती हुई अभिव्यक्ति।

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  15. आपकी स्नेहिल उपस्थिति से सृजन सार्थक हुआ ।हृदय से असीम आभार अमृता जी ! सादर सस्नेह वन्दे !

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  16. थाह लूं उसके मन की

    हवा के झोंके सी..,

    वह निकल जाती है

    मेरी पहुँच से परे

    बेहतरीन।

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  17. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।

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  18. गहन भाव और चिंतन लिए सुंदर क्षणिकाएं ।

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी !

      हटाएं
  19. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"