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गुरुवार, 25 अगस्त 2022

“दीवार”


खिचीं हुई है एक

अन्तर्द्वन्द्व की अभेद्य दीवार 


हर बार की तरह

इस बार भी लगता है 

एक कोशिश और यह

बस..,

भरभरा कर गिरने ही वाली है 

मगर कहाँ..,


हर बार की तरह इस बार भी

मेरे यक़ीन का ‘और’ और.., ही रहा 


अंगुलियों से रिसती लालिमा 

के साथ..,

हथेलियों की थकावट 

यह याद दिलाने के लिए 

काफ़ी है कि


प्रयासों में ही कहीं कमी रह गई है 

कोशिश जारी रखनी चाहिए 

थोड़ी मेहनत की और दरकार होगी


***

बुधवार, 17 अगस्त 2022

“वियोग”



यमुना तट पर विरह बरसे

गोपियों का मूक क्रंदन

कान्हा मथुरा धाम पधारे

अब बने वो देवकी नन्दन


ग्वाल बाल  मौन बैठे

गायें नित आँसू बहाएं

सांवरे बिन कौन उन संग

 हँसे खेले गुनगुनाएं

नन्द जी का द्वार सूना

नीर भरे माँ के नयन


अनमनी सी डोलती हैं

कदम्ब की ये डालियां

चाँदनी रातों में खिलती

ब्रह्म कमल की क्यारियां

बांसुरी निज कर में थामे

राधा करती गहन मंथन

    

आज भी ब्रज धाम राहें

गोपेश्वर को ढूंढ़ती हैं

बांसुरी की मधुर तानें

बस यादों में गूंजती हैं

पावन माटी वृंदावन की

नर- नारी नित करे वन्दन


***

सोमवार, 15 अगस्त 2022

“हाइकु”



खुला मैदान 

बारिश की बूँदों में

वृक्षों का स्नान ।


पावन बेला

हर घर फहरा

तिरंगा प्यारा ।


मन मयूर 

“जन गण मन” को

गर्व से गाएं ।


मांओं के लाल

स्वतंत्रता निमित्त 

हुए क़ुर्बान ।


राष्ट्र की नींव

निस्पृही बलिदानी

वीरों को नमन ।


आज़ादी पर्व 

अमृत महोत्सव 

जय भारत ।


***

गुरुवार, 4 अगस्त 2022

“हाइकु”


पावस ऋतु 

नीम की डाल पर

निबौरी गुच्छ ।


सावन माह 

कानों से बात करे

खेतों में धान ।


 भोर उजास 

नागवारा झील में

तैरती घास ।


पुराने ख़त

परतों में समेटे

यादों के पुष्प ।


काली घटाएं

गाँव गली में गूँजे

राग मल्हार।


गली का छोर 

चंग की थाप पर

झूमते लोग ।


 नदी का घाट

पुष्प ,फल, मिष्ठान्न 

षष्ठी पर्व में ।

 

बरसी घटा 

आँगन में तैरती

काग़ज़ नाव ।


भोर का तारा 

अम्बर में सिमटा

देख लालिमा ।


जब से उगे

कंक्रीट उपवन

लुप्त गौरैया ।


***