तुम्हारे बिना भी
बेफ़िक्री में गुजर ही रही थी
जिन्दगी..,
अपने होने का अर्थ
तुम से ही तो सीखा है
तुम्हें पाकर कैसे व्यक्त करूँ
समझ में आया ही नहीं
खुद को अभिव्यक्त करना
मेरे बस में कभी था ही नहीं
जिस राह चलना छोड़ा
बस छोड़ दिया
इस से पहले कि मैं
सब कुछ भूल - भाल जाऊँ
भागती-दौड़ती भीड़ में
भीड़ का हिस्सा बन खो जाऊँ
बिना लाग लपेट के
बस चंद शब्दों में ..,
इतना ही कहना है कि,
तुम्हें किसी को सौंपने के बाद
यह शहर मेरे लिए
अजनबी अजनबी
और ..,
ख़ाली खा़ली हो गया है
***
दिल में एक हूक-सी उठी है इन अशआर को पढ़कर
जवाब देंहटाएंसृजन पर आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने लेखनी को सार्थकता प्रदान की । हृदय से असीम आभार जितेन्द्र जी !
हटाएंतुम्हे किसी और को सौंपने के बाद ......
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी को खुद के लिए जीना यूँ बहुत मुश्किल होता है । हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ।।
आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ आ . दीदी ! हृदय से असीम आभार 🙏
हटाएंहृदयस्पर्शी सृजन मीना दी मन में डोलते भावों को सुंदर शब्दों को पिरोती खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थकता प्रदान करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के हृदय से असीम आभार अनुज संजय !
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 01 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार । सादर…,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 31 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार । सादर…
हटाएंहृदय स्पर्शी सृजन मीना जी, आप छोटी सी अभिव्यक्ति में कितना गहन समेट लेती हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया सदैव मुझे ऊर्जावान बनाती हैं , स्नेहिल उपस्थिति के लिए हृदय से असीम आभार कुसुम जी !
हटाएंकिसी की कमी
जवाब देंहटाएंदिल समझकर भी
नासमझ सा क्यों है?
आँख में नमी
ना चाहते हुये भी
पलकों पे रिमझिम सी क्यों है?
गर तुम सचमुच चले गये हो
मेरी साँसों में
तुम्हारी महक सी क्यों है?
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दिल से लिखी बेचैन करती बहुत सुंदर पंक्तियां दी।
सस्नेह प्रणाम दी।
सादर।
मेरे सृजन को मान सम्पन्न सार्थकता प्रदान करती आपकी प्रतिक्रिया के लिए
हटाएंहृदय से अभिभूत हूँ श्वेता ! हृदयतल से सस्नेह आभार ।
मन को छूते भाव लिए
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरी अभिव्यक्ति।
सादर स्नेह
आपकी सराहना सम्पन्न उपस्थिति से मेरी लेखनी को मान मिला अनीता ! हृदय से स्नेहिल आभार ।
जवाब देंहटाएंसील को छूती बहुत ही सुंदर रचना, मीना दी।
जवाब देंहटाएंरचना ने आपके दिल को छुआ .., लिखना सफल हुआ ।हृदय से असीम आभार ज्योति बहन 🙏
जवाब देंहटाएंयूँ भी आसान कहाँ दिल निकाल कर दूसरों को सोंपना...
जवाब देंहटाएंबहुत ही हृदयस्पर्शी एवं भावपूर्ण रचना।
आपकी सराहना सम्पन्न उपस्थिति से मेरी लेखनी को मान मिला सुधा जी ! हृदय से स्नेहिल आभार ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (31-07-2022) को "सावन की तीज का त्यौहार" (चर्चा अंक--4507) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
कृपया लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच की आज की चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी सर । सादर…,
जवाब देंहटाएंतुम्हें किसी को सौंपने के बाद
जवाब देंहटाएंयह शहर मेरे लिए
अजनबी अजनबी
और ..,
ख़ाली खा़ली हो गया है
....मर्म को छूती भावप्रवण रचना ।
सृजन को सार्थकता प्रदान करती सराहना सम्पन्न उपस्थिति हेतु हार्दिक आभार जिज्ञासा जी !
हटाएंहृदयस्पर्शी सृजन के लिए बधाई आदरणीय मीना जी। कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ विरेंद्र सिंह जी ।सादर आभार 🙏
हटाएंबहुत सुंदर,मन को छूती हुई पंक्तियां
जवाब देंहटाएंरचना ने आपके मन को स्पर्श किया लिखना सफल हुआ भारती जी ! हृदय से असीम आभार
हटाएंपंक्ति पंक्ति खूबसूरत
जवाब देंहटाएंस्वागत सहित बहुत बहुत आभार आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु 🙏
हटाएंहृदय स्पर्शी उम्दा प्रस्तुति आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु 🙏
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी सृजन
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुज ।
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी सृजन
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ओंकार सर । सादर वन्दे ।
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