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बुधवार, 6 जुलाई 2022

“पोर्ट्रेट”



भँवर अनेकों किये समाहित 

कितना शांत समन्दर

नीर गगरिया बादल भरता

झुका हुआ है तल पर


थाली जैसा दिखता चन्दा

झूल रहा शाख़ों पर

कानों में सीटी सी बजती

चले पवन सनन सनन


पवन झकोरों के संग देखो

टूटे शाख से पल्लव 

दर्द उठा तरुवर के मन में

उठती नज़र हुई नम


बौराया बादल का टुकड़ा 

उड़ा पानी से भर कर

टकराया उतुंग शिखा से

बिखरा बूँदें बन कर


स्मृति मंजूषा में रखे हैं

माणिक मुक्ता भर कर

मोती जैसे पल सिमटे हैं 

मन की सीप के अन्दर


 ***

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 07 जुलाई 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    उत्तर
    1. पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह जी । सादर वन्दे ।

      हटाएं
  2. बहुत खूबसूरत रचना .... बदल , बूंदों , शिखर , आदि के साथ स्मृति को लिखना बहुत सुन्दर संयोजन है ....

    स्मृति मंजूषा में रखे हैं

    माणिक मुक्ता भर कर

    मोती जैसे पल सिमटे हैं

    मन की सीप के अन्दर|
    लाजवाब ....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी उत्साहवर्धन करती सराहना सदैव लेखनी को ऊर्जा प्रदान करती है । हार्दिक आभार आ. दीदी ! सादर सस्नेह वन्दे !

      हटाएं
  3. स्मृति मंजूषा में रखे हैं

    माणिक मुक्ता भर कर

    मोती जैसे पल सिमटे हैं

    मन की सीप के अन्दर.. सुंदर रूपकों से सजी प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी । सादर सस्नेह वन्दे!

      हटाएं
  4. भँवर अनेकों किये समाहित
    कितना शांत समन्दर
    नीर गगरिया बादल भरता
    झुका हुआ है तल पर... वाह!बहुत सुंदर दी 👌
    हमेशा ज्ञान वान व्यक्ति या फलों से लदा वृक्ष झुका हुआ ही रहता है।
    सराहनीय सृजन।
    सादर स्नेह

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थक किया ।हृदय से असीम आभार अनीता जी । स्नेहिल वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  6. पवन झकोरों के संग देखो

    टूटे शाख से पल्लव

    दर्द उठा तरुवर के मन में

    उठती नज़र हुई नम

    हृदय स्पर्शी सृजन मीना जी, तरुवर को भी पीड़ा होती है इसका भान कहा किसी को होता है, ये तो कवि मन ही सोच सकता है,मन मोह लिया आपकी सृजन ने,🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थक किया कामिनी जी ! सस्नेह आभार सहित सादर वन्दे 🙏

      हटाएं
  7. अन्तर्मन को छूती कमाल की अभिव्यक्ति ...

    जवाब देंहटाएं
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    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हार्दिक आभार अनुज ।

      हटाएं
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    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"