कोने मे तुम खड़े अकेले
क्यों राहें देखा करते हो
मेरे प्रिय निकेत ! शायद तुम
मुझको ही ढूँढा करते हो
घूमे निशि दिन यूंही अकारण
गंतव्य का नहीं निशान
अंतहीन राहों पर चलना
एक बटोही की पहचान
पाखी दल लेकर आते
भाव भरे तेरे संदेश
समझ कर अनजान बन फिर
उर करता है बहुत क्लेश
मेरे जैसे ही तुम भी हो
इतना खुद ही समझ लोगे
उड़ने को जो पंख मिले हैं
बंधन में क्योंकर जकड़ोगे
गगनचुंबी परवाज़ें भरने
पंछी करे लक्ष्य संधान
मानव भी तो पंछी जैसा
रखता है उद्देश्य महान
***
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 21 जून 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
पाँच लिंकों का आनन्द में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार यशोदा जी . सादर…।
जवाब देंहटाएंसुंदर खूबसूरत पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नीतीश जी।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-6-22) को "पिताजी के जूते"'(चर्चा अंक 4467) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच पर मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
हटाएंगगनचुंबी परवाज़ें भरने
जवाब देंहटाएंपंछी करे लक्ष्य संधान
मानव भी तो पंछी जैसा
रखता है उद्देश्य महान ।
सुंदर और सकारात्मक सृजन ।
उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आ.दीदी ! सादर सस्नेह वन्दे !
हटाएंप्रेणना दायक रचना।
जवाब देंहटाएंजी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 🙏
हटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएं
हटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी!
जीवंतता से ओतप्रोत प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी !
हटाएंगगनचुंबी परवाज़ें भरने
जवाब देंहटाएंपंछी करे लक्ष्य संधान
मानव भी तो पंछी जैसा
रखता है उद्देश्य महान... बहुत सुंदर कहा आपने मीना दी। सराहनीय सृजन।
सादर
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता जी !
हटाएंबहुत सुंदर ♥️
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शिवम् जी ।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार लोकेष्णा जी !
हटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण पंक्तियां
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार भारती जी !
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहृदय से असीम आभार आ . ओंकार सर !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और प्रेरणादायक रचना
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 🙏
हटाएंकोने मे तुम खड़े अकेले
जवाब देंहटाएंक्यों राहें देखा करते हो
मेरे प्रिय निकेत ! शायद तुम
मुझको ही ढूँढा करते हो
बेहतरीन रचना दीदी जी
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंअनुज ।
Amazing or I can say this is a remarkable article.
जवाब देंहटाएं