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सोमवार, 20 जून 2022

“पाती”


कोने मे तुम खड़े अकेले

क्यों राहें देखा करते हो

मेरे प्रिय निकेत ! शायद तुम 

मुझको ही ढूँढा करते हो


घूमे निशि दिन यूंही अकारण 

गंतव्य का नहीं निशान 

अंतहीन राहों पर चलना

एक बटोही की पहचान 


पाखी दल लेकर आते 

भाव भरे तेरे संदेश

समझ कर अनजान बन फिर

उर करता है बहुत क्लेश 


मेरे जैसे ही तुम भी हो

इतना खुद ही समझ लोगे

उड़ने को जो पंख मिले हैं

बंधन में क्योंकर जकड़ोगे  


गगनचुंबी परवाज़ें भरने

पंछी करे लक्ष्य संधान

मानव भी तो पंछी जैसा

रखता है उद्देश्य महान


***

29 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 21 जून 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. पाँच लिंकों का आनन्द में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार यशोदा जी . सादर…।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर खूबसूरत पंक्तियाँ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नीतीश जी।

      हटाएं
  4. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-6-22) को "पिताजी के जूते"'(चर्चा अंक 4467) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !

      हटाएं
  5. गगनचुंबी परवाज़ें भरने

    पंछी करे लक्ष्य संधान

    मानव भी तो पंछी जैसा

    रखता है उद्देश्य महान ।

    सुंदर और सकारात्मक सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आ.दीदी ! सादर सस्नेह वन्दे !

      हटाएं
  6. उत्तर
    1. जी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 🙏

      हटाएं
  7. उत्तर

    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी!

      हटाएं
  8. जीवंतता से ओतप्रोत प्रेरक रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी !

      हटाएं
  9. गगनचुंबी परवाज़ें भरने
    पंछी करे लक्ष्य संधान
    मानव भी तो पंछी जैसा
    रखता है उद्देश्य महान... बहुत सुंदर कहा आपने मीना दी। सराहनीय सृजन।
    सादर

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता जी !

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  10. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शिवम् जी ।

      हटाएं
  11. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार लोकेष्णा जी !

      हटाएं
  12. बहुत सुंदर भावपूर्ण पंक्तियां

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार भारती जी !

      हटाएं
  13. हृदय से असीम आभार आ . ओंकार सर !

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ही सुंदर और प्रेरणादायक रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 🙏

      हटाएं
  15. कोने मे तुम खड़े अकेले

    क्यों राहें देखा करते हो

    मेरे प्रिय निकेत ! शायद तुम

    मुझको ही ढूँढा करते हो

    बेहतरीन रचना दीदी जी

    जवाब देंहटाएं
  16. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
    अनुज ।

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"