उगते सूरज की आभा में
मन समझे ऐसी भाषा में
मैं कोई एक गीत और..,
तुम सारा संसार लिखो
पर्वत के उर से उपजी
वर्तुल वीथियों में उलझी
जल की नन्ही सी बूँद
पहुँची सागर के पास
मैं उसका इतिहास और..,
तुम सागर विस्तार लिखो
झिलमिल करते
नभ आंगन का
कोई धूसर खाली कोना
क्यों रिक्त रहा उडुगण के बिन
मैं उसका अभिप्राय और..,
तुम सारा ब्रह्माण्ड लिखो
अगम राह में एक राही
पाने को मंजिल मनचाही
करने बाधाएँ पार
करता खुद को प्रतिबद्ध
मैं उसका संकल्प और..,
तुम जीत का हर्ष अपार लिखो
***
वाह ..... बहुत सुंदर भाव । पढ़ते पढ़ते बस यूँ ही कुछ खदबदा रहा है ----- कोशिश करती हूँ लिखने की ----
जवाब देंहटाएंमैं तो लिख दूँ
सारा संसार
पर एक गीत बिना
संसार कहाँ ?
सागर का विस्तार
भी लिख दूँ
बूँद बिना पर
सागर कहाँ ?
जब तक हो नभ में
कोई खाली कोना
उसका अभिप्राय
बिना जाने
कैसे लिख दूँ
सारा ब्रह्मांड भला ?
जब तक न
लिखा जाएगा संकल्प
तब तक जीत
असंभव है
फिर कैसे लिख दूँ
हर्ष अपार ?
तुम ही बोलो
तुम बिन कैसे
कदम बढाऊँ आगे ,
एक कदम तुम चलो
एक कदम मैं चलूँ
बने रहें ये नेह के धागे ।
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति प्रिय दीदी।सच कहूँ तो नहले पर दहला 👌👌👌👌👌मीना जी की भावपूर्ण अभिव्यक्ति पर एक सुन्दर सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद और हार्दिक स्नेह आपके लिए 🙏🙏♥️♥️
हटाएंदीदी हैं तो नहले पर दहला तो होगा ही रेणु जी ! दीदी के सम्मान में आपकी नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार!
हटाएंवाह! बहुत खूब दी, आज तो ऐसा लगा जैसे सुर संगम की धारा बह निकली है मीना जी के ब्लोग रुपी घर में,इन दिनों रचनाओं को यदि सुर ताल मिल जाए तो एक अदभुत गीत बन जाए,एक गीत के बोल याद आ गई - तेरे सुर और मेरे गीत, दोनों मिलकर बने प्रीत.... शानदार सृजन आप दोनों का,🙏
हटाएंवाह !! हौंसला अफजाई के साथ ढेर सारे सवाल भी 😊नेह के धागों में जीवन का सार बंधा है यूं कदमों की लय को कदमों का साथ मिला तो राहें आसान और संकल्प सफल हो जाएँगे ।हृदयतल से ढेर सारा आभार आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु । सस्नेह सादर वन्दे मैम !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-05-22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4442 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थित चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सृजन को चर्चा मंच की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आ. दिलबागसिंह जी ।
जवाब देंहटाएंअगम राह में एक राही
जवाब देंहटाएंपाने को मंजिल मनचाही
करने बाधाएँ पार
करता खुद को प्रतिबद्ध
मैं उसका संकल्प और..,
तुम जीत का हर्ष अपार लिखो... वाह!
सम्पूर्ण सृजन सराहनीय।
बहते झरने-सा।
सादर स्नेह
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार अनीता जी ।सस्नेह सादर वन्दे !!
हटाएंउगते सूरज की आभा में
जवाब देंहटाएंमन समझे ऐसी भाषा में
मैं कोई एक गीत और..,
तुम सारा संसार लिखो
बहुट सुंदर पंक्तियाँ...
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार विकास जी !
हटाएंमीना जी बहुत सुंदर पंक्तियाँ.. एक बार मेरे भी मन में ये विचार आया था पर हमें शब्द नही मिल रहे थे......खूबसूरती से सार्थक लिख दिया आपने धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार संजय भाई ! सृजन को मान प्रदान करती प्रतिक्रिया से हार्दिक हर्ष हुआ ।
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
पाँच लिंकों का आनन्द में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार श्वेता जी ! सस्नेह सादर वन्दे !
हटाएंमैं उसका संकल्प और..,
जवाब देंहटाएंतुम जीत का हर्ष अपार लिखो ..बहुत सुंदर और प्रेरक रचना । बधाई मीना जी ।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।सस्नेह सादर वन्दे !!
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण गीत
बधाई
आपकी सराहना पा कर लेखनी को मान मिला । सादर आभार आ.ज्योति खरे सर ।
हटाएंमैं और तुम ही तो हैं आदि और अंत
जवाब देंहटाएंमैं शुरू करूँ तुम विस्तार दो
बहुत ही सुन्दर सारगर्भित एवं लाजवाब सृजन
वाह!!!
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार सुधा जी ।सस्नेह सादर वन्दे !!
हटाएंलाजवाब सृजन।
जवाब देंहटाएंबधाई
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार पम्मी जी ।सस्नेह सादर वन्दे !!
हटाएंअगम राह में एक राही
जवाब देंहटाएंपाने को मंजिल मनचाही
करने बाधाएँ पार
करता खुद को प्रतिबद्ध
मैं उसका संकल्प और..,
तुम जीत का हर्ष अपार लिखो //////
अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय मीना जी।जब दो पथिक साँझा संकल्प लेते हैं तो सपनों का नया संसार रचा जाता है।हार्दिक शुभकामनाएं इस मधुर रचना के लिए ♥️♥️🌺🌺🙏
बहुत समय के बाद आपकी स्नेहिल उपस्थिति से सृजन सार्थक हुआ प्रिय रेणु जी ! हार्दिक आभार सहित सस्नेह वन्दे 🙏❤️🌹
हटाएंबहुत खूब मीना जी,आपके इस गीत ने तो मंत्रमुग्ध कर दिया। जितनी तारिफ करूं वो कम है । बहुत बहुत बधाई इस खुबसूरत गीत के लिए 🙏
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हार्दिक आभार कामिनी जी ! सस्नेह सादर वन्दे !
हटाएंहृदय के गह्वर से जब गीत फूटता है तो उसके आलोक में ब्रह्मांड भी चमक उठता है.... कुछ ऐसा ही ये।
जवाब देंहटाएंलेखनी का मान बढ़ाते आपके अनमोल शब्दों से मन को अतीव हर्ष हुआ । संग्रहणीय अनुपम प्रतिक्रिया के लिए हृदय से असीम आभार अमृता जी ! सादर सस्नेह वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर♥️
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार शिवम् जी ।
हटाएंखुबसूरत गीत लाजवाब सृजन
जवाब देंहटाएंजी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।
हटाएंवीत रागी की तरह गेयता लिए कमाल का गीत ...
जवाब देंहटाएंजीवन जैसे अनुबंध है भावनाओं का प्रकृति के साथ और इन बिम्बों को बाखूबी उतरा है शब्दों में आपने ...
लेखनी का मान बढ़ाते आपके अनमोल शब्दों से मन को अतीव हर्ष हुआ ।असीम आभार नासवा जी !
जवाब देंहटाएंअगम राह में एक राही
जवाब देंहटाएंपाने को मंजिल मनचाही
करने बाधाएँ पार
करता खुद को प्रतिबद्ध
मैं उसका संकल्प और..,
तुम जीत का हर्ष अपार लिखो... बेहतरीन सृजन... हार्दिक बधाई दी बहुत ही बढ़िया लिख रहे हो।
सादर स्नेह
अगम राह में एक राही
जवाब देंहटाएंपाने को मंजिल मनचाही
करने बाधाएँ पार
करता खुद को प्रतिबद्ध
मैं उसका संकल्प और..,
तुम जीत का हर्ष अपार लिखो... बेहतरीन सृजन... हार्दिक बधाई दी बहुत ही बढ़िया लिख रहे हो।
सादर स्नेह
लेखनी का मान बढ़ाते आपके अनमोल शब्दों से मन को अतीव हर्ष हुआ ।असीम आभार अनीता जी ! सस्नेह …
हटाएंबधाई इस खुबसूरत गीत के लिए
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