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बुधवार, 25 मई 2022

“एक गीत”


उगते सूरज की आभा में

मन समझे ऐसी भाषा में 

मैं कोई एक गीत और..,

तुम सारा संसार लिखो


पर्वत के उर से उपजी

वर्तुल वीथियों में उलझी

जल की नन्ही सी बूँद

पहुँची सागर के पास

मैं उसका इतिहास और..,

तुम सागर विस्तार लिखो


झिलमिल करते 

नभ आंगन का

कोई धूसर खाली कोना

क्यों रिक्त रहा उडुगण के बिन

मैं उसका अभिप्राय और..,

तुम सारा ब्रह्माण्ड लिखो


अगम राह में एक राही

पाने को मंजिल मनचाही

करने बाधाएँ पार

करता खुद को प्रतिबद्ध

मैं उसका संकल्प और..,

तुम जीत का हर्ष अपार लिखो 


***

40 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ..... बहुत सुंदर भाव । पढ़ते पढ़ते बस यूँ ही कुछ खदबदा रहा है ----- कोशिश करती हूँ लिखने की ----

    मैं तो लिख दूँ
    सारा संसार
    पर एक गीत बिना
    संसार कहाँ ?
    सागर का विस्तार
    भी लिख दूँ
    बूँद बिना पर
    सागर कहाँ ?
    जब तक हो नभ में
    कोई खाली कोना
    उसका अभिप्राय
    बिना जाने
    कैसे लिख दूँ
    सारा ब्रह्मांड भला ?
    जब तक न
    लिखा जाएगा संकल्प
    तब तक जीत
    असंभव है
    फिर कैसे लिख दूँ
    हर्ष अपार ?
    तुम ही बोलो
    तुम बिन कैसे
    कदम बढाऊँ आगे ,
    एक कदम तुम चलो
    एक कदम मैं चलूँ
    बने रहें ये नेह के धागे ।


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    उत्तर
    1. बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति प्रिय दीदी।सच कहूँ तो नहले पर दहला 👌👌👌👌👌मीना जी की भावपूर्ण अभिव्यक्ति पर एक सुन्दर सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद और हार्दिक स्नेह आपके लिए 🙏🙏♥️♥️

      हटाएं
    2. दीदी हैं तो नहले पर दहला तो होगा ही रेणु जी ! दीदी के सम्मान में आपकी नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार!

      हटाएं
    3. वाह! बहुत खूब दी, आज तो ऐसा लगा जैसे सुर संगम की धारा बह निकली है मीना जी के ब्लोग रुपी घर में,इन दिनों रचनाओं को यदि सुर ताल मिल जाए तो एक अदभुत गीत बन जाए,एक गीत के बोल याद आ गई - तेरे सुर और मेरे गीत, दोनों मिलकर बने प्रीत.... शानदार सृजन आप दोनों का,🙏

      हटाएं
  2. वाह !! हौंसला अफजाई के साथ ढेर सारे सवाल भी 😊नेह के धागों में जीवन का सार बंधा है यूं कदमों की लय को कदमों का साथ मिला तो राहें आसान और संकल्प सफल हो जाएँगे ।हृदयतल से ढेर सारा आभार आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु । सस्नेह सादर वन्दे मैम !

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-05-22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4442 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थित चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

    जवाब देंहटाएं
  4. सृजन को चर्चा मंच की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आ. दिलबागसिंह जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. अगम राह में एक राही
    पाने को मंजिल मनचाही
    करने बाधाएँ पार
    करता खुद को प्रतिबद्ध
    मैं उसका संकल्प और..,
    तुम जीत का हर्ष अपार लिखो... वाह!
    सम्पूर्ण सृजन सराहनीय।
    बहते झरने-सा।
    सादर स्नेह

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार अनीता जी ।सस्नेह सादर वन्दे !!

      हटाएं
  6. उगते सूरज की आभा में
    मन समझे ऐसी भाषा में
    मैं कोई एक गीत और..,
    तुम सारा संसार लिखो

    बहुट सुंदर पंक्तियाँ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार विकास जी !

      हटाएं
  7. मीना जी बहुत सुंदर पंक्तियाँ.. एक बार मेरे भी मन में ये विचार आया था पर हमें शब्द नही मिल रहे थे......खूबसूरती से सार्थक लिख दिया आपने धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार संजय भाई ! सृजन को मान प्रदान करती प्रतिक्रिया से हार्दिक हर्ष हुआ ।

      हटाएं

  8. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

  9. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. पाँच लिंकों का आनन्द में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार श्वेता जी ! सस्नेह सादर वन्दे !

      हटाएं
  10. मैं उसका संकल्प और..,
    तुम जीत का हर्ष अपार लिखो ..बहुत सुंदर और प्रेरक रचना । बधाई मीना जी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।सस्नेह सादर वन्दे !!

      हटाएं
  11. वाह
    बहुत सुंदर भावपूर्ण गीत

    बधाई

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना पा कर लेखनी को मान मिला । सादर आभार आ.ज्योति खरे सर ।

      हटाएं
  12. मैं और तुम ही तो हैं आदि और अंत
    मैं शुरू करूँ तुम विस्तार दो
    बहुत ही सुन्दर सारगर्भित एवं लाजवाब सृजन
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार सुधा जी ।सस्नेह सादर वन्दे !!

      हटाएं
  13. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार पम्मी जी ।सस्नेह सादर वन्दे !!

      हटाएं
  14. अगम राह में एक राही
    पाने को मंजिल मनचाही
    करने बाधाएँ पार
    करता खुद को प्रतिबद्ध
    मैं उसका संकल्प और..,
    तुम जीत का हर्ष अपार लिखो //////
    अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय मीना जी।जब दो पथिक साँझा संकल्प लेते हैं तो सपनों का नया संसार रचा जाता है।हार्दिक शुभकामनाएं इस मधुर रचना के लिए ♥️♥️🌺🌺🙏

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    उत्तर
    1. बहुत समय के बाद आपकी स्नेहिल उपस्थिति से सृजन सार्थक हुआ प्रिय रेणु जी ! हार्दिक आभार सहित सस्नेह वन्दे 🙏❤️🌹

      हटाएं
  15. बहुत खूब मीना जी,आपके इस गीत ने तो मंत्रमुग्ध कर दिया। जितनी तारिफ करूं वो कम है ‌। बहुत बहुत बधाई इस खुबसूरत गीत के लिए 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हार्दिक आभार कामिनी जी ! सस्नेह सादर वन्दे !

      हटाएं
  16. हृदय के गह्वर से जब गीत फूटता है तो उसके आलोक में ब्रह्मांड भी चमक उठता है.... कुछ ऐसा ही ये।

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  17. लेखनी का मान बढ़ाते आपके अनमोल शब्दों से मन को अतीव हर्ष हुआ । संग्रहणीय अनुपम प्रतिक्रिया के लिए हृदय से असीम आभार अमृता जी ! सादर सस्नेह वन्दे !

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  18. उत्तर
    1. जी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  19. वीत रागी की तरह गेयता लिए कमाल का गीत ...
    जीवन जैसे अनुबंध है भावनाओं का प्रकृति के साथ और इन बिम्बों को बाखूबी उतरा है शब्दों में आपने ...

    जवाब देंहटाएं
  20. लेखनी का मान बढ़ाते आपके अनमोल शब्दों से मन को अतीव हर्ष हुआ ।असीम आभार नासवा जी !

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  21. अगम राह में एक राही

    पाने को मंजिल मनचाही

    करने बाधाएँ पार


    करता खुद को प्रतिबद्ध

    मैं उसका संकल्प और..,

    तुम जीत का हर्ष अपार लिखो... बेहतरीन सृजन... हार्दिक बधाई दी बहुत ही बढ़िया लिख रहे हो।
    सादर स्नेह

    जवाब देंहटाएं
  22. अगम राह में एक राही

    पाने को मंजिल मनचाही

    करने बाधाएँ पार


    करता खुद को प्रतिबद्ध

    मैं उसका संकल्प और..,

    तुम जीत का हर्ष अपार लिखो... बेहतरीन सृजन... हार्दिक बधाई दी बहुत ही बढ़िया लिख रहे हो।
    सादर स्नेह

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. लेखनी का मान बढ़ाते आपके अनमोल शब्दों से मन को अतीव हर्ष हुआ ।असीम आभार अनीता जी ! सस्नेह …

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"