यहाँ-वहाँ ,कहीं भी…,
उग आती हैं छिटपुट
घास की गुच्छियाँ
उनकी बेतरतीब सी
शाखों के बीच
गाढ़े रंगों से सराबोर
मुँह निकाल झांकता है
इक्का-दुक्का जंगली फूल
सोचती हूँ…,
रईसी के ठाठ में पलते
गुलाब और उसके संगी-साथी
उसकी जिजीविषा
और बेफ़िक्री की आदत से
ईर्ष्या भी करते ही होंगे
एक अलग सी ठसक
और…,
कहीं भी , कभी भी
सड़क - किनारे…,
झोपड़ी के पिछवाड़े
गोचर भूमि में
किसी पहाड़ की
चट्टानों के बीच
चार पत्तियों वाली
घास की गुच्छियों में
खिलखिलाता सा
खिल उठता है जंगली फूल
***
बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार ओंकार सर🙏
हटाएंबेहतरीन रचना सखी।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से हार्दिक आभार सखी !
हटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार ज्योति जी !
जवाब देंहटाएंसोचती हूँ…,
जवाब देंहटाएंरईसी के ठाठ में पलते
गुलाब और उसके संगी-साथी
उसकी जिजीविषा
और बेफ़िक्री की आदत से
ईर्ष्या भी करते ही होंगे
एक अलग सी ठसक... वाह!गज़ब कहा।
अब करे तो करे गुलाब ईर्ष्या, गुलाब में कहाँ इतनी बेफिक्री की वो पनप सके कहीं भी, इसके लिए भी धरती से बेसुमार प्रेम हृदय में होना चाहिए। विश्वास की जड़े गहरी होनी चाहिए। तभी पनपा जाता है कहीं भी किसी के साथ भी।
सराहनीय सृजन।
सादर
सृजन को सार्थकता प्रदान करती आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने लेखनी को सार्थक किया।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अनीता जी !
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (3-5-22) को "हुई मन्नत सभी पूरी, ईद का चाँद आया है" (चर्चा अंक 4419) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
सृजन का मंच पर चर्चा हेतु चयन करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
हटाएं"जंगली फूल" तो मतवाला मनमर्जी का जोगी है और गुलाब जी ठहरे कोमल और सहूलियत पसंद भला वो कैसे मनमर्जी की कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंवाह !!बहुत खूब मीना जी, जंगली फूलों के माध्यम से जीवन की कितनी बड़ी सीख दे दी आपने कि यदि "जिजीविषा" हो तो जंगल में भी मंगल है और यदि मन में विश्वास और प्रेम हो तो सब सम्भव है। लाजबाब सृजन,सादर नमन आपको
आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को प्रवाह और लैखनी को सार्थकता प्रदान की । हृदयतल से आभार कामिनी जी ! सादर सस्नेह वन्दे !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंअनुज ।
कसक उठाती हुई अभिव्यक्ति... काश हम भी वही होते तो .... जंगली फूल।
जवाब देंहटाएंआप साथ होते तो सौभाग्य की बात होती 😊 ईश्वर की कृपा हुई तो कभी मिलेंगे । हार्दिक आभार स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु 🙏
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