दूध की धार सी ..,निर्मल आसमान में..
कभी-कभी ही दिखती है आकाश गंगा ।
सुकून के पल उससे होड़ करना सीख गए हैं ॥
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तुम आए और बिना द्वार पर दस्तक दिये…
खामोशी से ही अलविदा कह लौट भी गए ।
रुकते तो जीवन राग सप्त सुरों में गा उठता ॥
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गलत पते पर भेजी शुभेच्छाएं कभी-कभी…
सही जगह भी पहुँच जाया करती है ।
सच्चे दिल की दुआ कभी असफल नहीं होती ॥
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बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आ. ओंकार सर 🙏
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-4-22) को "23 अप्रैल-पुस्तक दिवस"(चर्चा अंक-4409) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
मंच पर सृजन साझा करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंप्राकृतिक सौंदर्य को बहुत ही सहज रूप से प्रस्तुत किया है आदरणीय मीणा जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार राजपुरोहित जी ।
हटाएंगलत पते पर भेजी शुभेच्छाएं कभी-कभी…
जवाब देंहटाएंसही जगह भी पहुँच जाया करती है ।
सच्चे दिल की दुआ कभी असफल नहीं होती ॥
वखह!!!
एक से बढ़कर एक त्रिवेणी..
बहुत सुन्दर, सार्थक एवं लाजवाब।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुधा जी!
हटाएंबहुत सुंदर त्रिवेणी।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी!
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जवाब देंहटाएंतुम आए और बिना द्वार पर दस्तक दिये…
खामोशी से ही अलविदा कह लौट भी गए ।
रुकते तो जीवन राग सप्त सुरों में गा उठता ॥..
वाह ! कितने सुंदर अहसास।
बेहतरीन रचना ।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी !
हटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन कोमल भाव लिए। शीतल चाँदनी सा बिखरता।
जवाब देंहटाएंसादर
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता जी!
हटाएंसच्चाई से की गई प्रार्थना हमेशा स्वीकार होती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
सृजन को सार्थकता प्रदान करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति खरे सर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर ! सादर..।
हटाएंएक से बढ़कर एक त्रिवेणी....कोमल भाव
जवाब देंहटाएंत्रिवेणी पर आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुज!
जवाब देंहटाएंआपके कथ्यों और संप्रेषण में एक अलग ही खिंचाव होता है जो कुछ देर के लिए मौन में ले जाता है।
जवाब देंहटाएंलिखना सफल हुआ अमृता जी ! सस्नेह वन्दे !!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सहित आपका “मंथन” पर स्वागत है ।सादर…।
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