न जाने क्यों…
तुम्हारी याद मेरे मन के
दरवाज़े पर
पछुआ पवन सी
दस्तक देने लगी है
तुम्हारे घर का आंगन
नींद में भी
मेरी स्मृतियों में
जीवन्त हो उठता है
मैंने कभी…
तुम्हारे घर में कोई
पूजाघर तो नहीं देखा
लेकिन
उपले थापते वक़्त
तुम्हारे कंठ से
गुड़ की मिठास से भरे
मांड राग में
भजन बहुत सुने हैं
न जाने क्यों …
वक़्त के साथ अब सब कुछ
बदल सा गया है
मगर
मेरे लिए तुम्हारे
घर का आंगन
स्वप्न में सजीव हो कर
पूजाघर जैसा ही बन गया है
🍁🍁🍁
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 30 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्
पाँच लिंकों का आनन्द में “न जाने क्यों…” को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार पम्मी जी ! सादर ।
हटाएंवाह ..... बहुत सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आभार मैम !
हटाएंवाह क्या बात कही ...कि..उपले थापते वक़्त
जवाब देंहटाएंतुम्हारे कंठ से
गुड़ की मिठास से भरे
मांड राग में
भजन बहुत सुने हैं...वाह ..अद्भुत मीना जी
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अलकनन्दा जी !
जवाब देंहटाएंकमाल के बिंम्ब
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के सादर आभार सर !
हटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार भारती जी!
हटाएंप्रेम को जीवंत बनाए रखने की कला।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार लोकेष्णा जी !
हटाएंन जाने क्यों…
जवाब देंहटाएंतुम्हारी याद मेरे मन के
दरवाज़े पर
पछुआ पवन सी
दस्तक देने लगी है
कुछ यादें पछुआ पवन सी ही दर्द देती है फिर भी भली लगती है,हृदयस्पर्शी सृजन मीना जी,सादर नमन आपको
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी ! सस्नेह सादर नमस्कार !
हटाएंबहुत सुंदर भाव भरे दृश्यों का संयोजन किया है आपने ।
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई मीना जी ।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।
हटाएंसुंदर भाव भरे दृश्यों पर लिखे ख़याल बहुत सुन्दर प्रस्तुति 👍
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुज !
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