अपनी करनी अपनी भरनी अपने हाथ में ,
दोषारोपण क्यों करना किसी पर बेबात में ॥
संसार में सर्वगुण परिपूर्ण कोई भी कहाँ है ,
फिर क्यों लीक पीटना किसी भी हालात में ॥
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मंद तारों की ज्योत ढलती रात की मानिंद ,
सोच गुम है भूसे के ढेर में सुई की मानिंद ॥
ऐसे जीवन का भी होना क्या होना जो ,
खर्च हो रहा जेब के सिक्कों की मानिंद ॥
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नकारने से हम नाकाबिल नहीं हो जाते ,
बिना श्रम के लक्ष्य हासिल नहीं हो जाते ॥
क्यों नहीं रख पाते सकारात्मक सोच और ,
जीत की स्पर्धा में शामिल नहीं हो जाते ॥
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स्व को मिटा जब किसी और के हो जाओगे ,
मिलेगी ख़ुशी जो किसी मासूम को हँसाओगे ॥
जीत का हर्ष क्या ? हार का दर्द क्या ?
खो कर खुद को खुद के करीब आ पाओगे ॥
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बहुत सुंदर रचना, मीना दी।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी!
हटाएंनकारने से हम नाकाबिल नहीं हो जाते ,
जवाब देंहटाएंबिना श्रम के लक्ष्य हासिल नहीं हो जाते ॥
क्यों नहीं रख पाते सकारात्मक सोच और ,
जीत की स्पर्धा में शामिल नहीं हो जाते ॥
बहुत ही सुंदर रचना मीना जी उच्चतम मानवीय मूल्यों और सद्भावना को समेटे।
होली पर्व की विशेष शुभकामनाएं।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया सदैव लेखनी को ऊर्जा प्रदान करती है । होली की असीम शुभकामनाओं सहित हार्दिक आभार कुसुम जी!
हटाएंस्व बंधनों से मुक्त करता हुआ मुक्तक जितना पारदर्शी है उतना ही आरसी सम है। अत्यंत गहन किन्तु किनारे को थामे हुए।
जवाब देंहटाएंसृजन और लेखनी को मान प्रदान करती आपकी प्रतिक्रिया से मेरा उत्साहवर्धन हुआ । गूढ़ दर्शन को अभिव्यक्त करती अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अमृता जी!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना। जीवन की बातें सिखातीं मुक्तक।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार विकास जी !
हटाएंस्व को मिटा जब किसी और के हो जाओगे ,
जवाब देंहटाएंमिलेगी ख़ुशी जो किसी मासूम को हँसाओगे ॥
जीत का हर्ष क्या ? हार का दर्द क्या ?
खो कर खुद को खुद के करीब आ पाओगे... अति सुंदर मुक्तक। बहुत बहुत बधाई।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता
हटाएंजी !
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर !
हटाएंसार्थक और सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर !
हटाएंप्रेरक और सुंदर भावों से सज्जित मुक्तक ।
जवाब देंहटाएंबहुत सराहनीय सृजन ।
बधाई मीना जी ।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया सदैव लेखनी को ऊर्जा प्रदान करती है ।हार्दिक आभार जिज्ञासा जी !
हटाएंस्व को मिटा जब किसी और के हो जाओगे ,
जवाब देंहटाएंमिलेगी ख़ुशी जो किसी मासूम को हँसाओगे ॥
जीत का हर्ष क्या ? हार का दर्द क्या ?
खो कर खुद को खुद के करीब आ पाओ
वाह!!!!
लाजवाब मुक्तक... सुन्दर सीख देते।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुधा जी!
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