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शनिवार, 19 मार्च 2022

“मुक्तक”


अपनी करनी अपनी भरनी अपने हाथ में ,

दोषारोपण क्यों करना किसी पर बेबात में ॥

संसार में सर्वगुण परिपूर्ण कोई भी कहाँ है ,

फिर क्यों लीक पीटना किसी भी हालात में ॥

🍁


मंद तारों की ज्योत ढलती रात की मानिंद ,

सोच गुम है भूसे के ढेर में सुई की मानिंद ॥

ऐसे जीवन का भी होना क्या होना जो ,

 खर्च हो रहा जेब के सिक्कों की मानिंद ॥

🍁


नकारने से हम नाकाबिल नहीं हो जाते ,

बिना श्रम के लक्ष्य हासिल नहीं हो जाते ॥

क्यों नहीं रख पाते सकारात्मक सोच और ,

जीत  की स्पर्धा में शामिल  नहीं हो जाते ॥

🍁


 स्व को मिटा जब किसी और के हो जाओगे ,

मिलेगी ख़ुशी जो किसी मासूम को हँसाओगे ॥

जीत का हर्ष क्या ? हार का दर्द क्या ?

खो कर खुद को खुद के करीब आ पाओगे ॥


🍁


***








18 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी!

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  2. नकारने से हम नाकाबिल नहीं हो जाते ,

    बिना श्रम के लक्ष्य हासिल नहीं हो जाते ॥

    क्यों नहीं रख पाते सकारात्मक सोच और ,

    जीत की स्पर्धा में शामिल नहीं हो जाते ॥

    बहुत ही सुंदर रचना मीना जी उच्चतम मानवीय मूल्यों और सद्भावना को समेटे।
    होली पर्व की विशेष शुभकामनाएं।

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    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया सदैव लेखनी को ऊर्जा प्रदान करती है । होली की असीम शुभकामनाओं सहित हार्दिक आभार कुसुम जी!

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  3. स्व बंधनों से मुक्त करता हुआ मुक्तक जितना पारदर्शी है उतना ही आरसी सम है। अत्यंत गहन किन्तु किनारे को थामे हुए।

    जवाब देंहटाएं
  4. सृजन और लेखनी को मान प्रदान करती आपकी प्रतिक्रिया से मेरा उत्साहवर्धन हुआ । गूढ़ दर्शन को अभिव्यक्त करती अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अमृता जी!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर रचना। जीवन की बातें सिखातीं मुक्तक।

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार विकास जी !

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  6. स्व को मिटा जब किसी और के हो जाओगे ,
    मिलेगी ख़ुशी जो किसी मासूम को हँसाओगे ॥
    जीत का हर्ष क्या ? हार का दर्द क्या ?
    खो कर खुद को खुद के करीब आ पाओगे... अति सुंदर मुक्तक। बहुत बहुत बधाई।

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता
      जी !

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  7. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर !

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  8. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर !

      हटाएं
  9. प्रेरक और सुंदर भावों से सज्जित मुक्तक ।
    बहुत सराहनीय सृजन ।
    बधाई मीना जी ।

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    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया सदैव लेखनी को ऊर्जा प्रदान करती है ।हार्दिक आभार जिज्ञासा जी !

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  10. स्व को मिटा जब किसी और के हो जाओगे ,

    मिलेगी ख़ुशी जो किसी मासूम को हँसाओगे ॥

    जीत का हर्ष क्या ? हार का दर्द क्या ?

    खो कर खुद को खुद के करीब आ पाओ
    वाह!!!!
    लाजवाब मुक्तक... सुन्दर सीख देते।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुधा जी!

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"