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बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

आसमां धुंधला सा है...


आसमां धुंधला सा है..

जाग कर सोया सा है ।


धुंए सी इस भोर में..

दम हवा का घुट रहा है ।


घर तो है अपना मगर..

गैर सा क्यों रास्ता है ।

 

आईने के सामने भी..

बिंब मेरा अपना कहाँ है ।


विटप ठूंठ की शाख पर

एक पल्लव कांपता है ।


***




 

32 टिप्‍पणियां:

  1. आईने के सामने भी..
    बिंब मेरा अपना कहाँ है ।
    विटप ठूंठ की शाख पर
    एक पल्लव कांपता है... सहज सरल शब्दों बहुत ही भावपूर्ण सृजन प्रिय मीना दी।
    आप जल्द ही स्वस्थ हो प्रभु से यही कामना।
    सादर स्नेह

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    1. आपकी शुभकामनाएं और उत्साहवर्धन मेरा सदैव मनोबल संवर्धन करता है । हार्दिक आभार अनीता जी ।

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    2. आप अस्वस्थ हैं तो कृपया अपनी देखभाल अच्छी तरह करें। हार्दिक प्रार्थना है कि आप जल्द ही स्वस्थ हों।

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    3. High bp के साथ tachycardia की problem है अमृता जी जो अक्सर परेशान करती है ।treatment ले रही हूँ ।आपका अपनापन दिल के करीब लगा । सस्नेह आभार😊🙏 अमृता जी !


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  2. आज का सच तो यही है ...
    पर्यावरण को कहाँ ला के घड़ा कर दिया हैं हमने ... सार्थक रचना ...

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नासवा जी ।

      हटाएं
  3. घर तो है अपना मगर..

    गैर सा क्यों रास्ता है ।



    आईने के सामने भी..

    बिंब मेरा अपना कहाँ है ।

    सच, कभी कभी खुद की परछाई भी अजनबी सी लगती है, भावों को बहुत ही सुन्दर शब्दों में बयां करती सृजन मीना जी, 🙏

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी 🙏

      हटाएं
  4. विटप ठूंठ की शाख पर

    एक पल्लव कांपता है ।
    सर्दी बहुत है ......😆😆😆

    मज़ाक एक तरफ ....

    हवा में कोहरा
    घुला हुआ है

    चारों ओर प्रदूषण
    फैला हुआ है

    रास्ते की क्या बात करें
    अब तो घर भी अपना कहाँ है

    एक पल्लव जो काँप रहा
    वही शज़र होने का गुमाँ दे रहा है ।

    बहुत गहन भावों से परिपूर्ण अभिव्यक्ति ।

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    1. आपका स्नेहिल हास्य मुस्कुराहटें बाँटता है और सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया लेखनी ऊर्जा का संचार करती है । तहेदिल से असीम आभार मैम 🙏

      हटाएं
  5. घर तो है अपना मगर..
    गैर सा क्यों रास्ता है ।
    पता नहीं क्यों और कहाँ से ये निराशा के भाव हावी होने लगते हैं,.... अच्छा ही है कि इनको लिखकर मन से निकाल दिया जाए।

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    1. मनोबल संवर्धन करती उपस्थिति के लिए हृदय से असीम आभार मीना जी।

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  6. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (03-02-2022 ) को 'मोहक रूप बसन्ती छाया, फिर से अपने खेत में' (चर्चा अंक 4330) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    उत्तर
    1. चर्चा मंच की चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आ. रवीन्द्र सिंह जी ।

      हटाएं
  7. घर तो है अपना मगर..
    गैर सा क्यों रास्ता है ।
    आईने के सामने भी..
    बिंब मेरा अपना कहाँ है ।
    वाह चंद शब्दों में अपने कितना कुछ कह डाला
    बहुत ही बेहतरीन सृजन आदरणीय मैम

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार मनीषा जी!

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  8. बहुत सुन्दर !
    लोकतंत्र रूपी ठूंठ विटप पर काँपता पल्लव कहीं आम आदमी तो नहीं है?

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    1. आपकी हाजिर जवाबी की कायल हूँ मैं 🙏 बहुत बहुत आभार सर 🙏

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  9. पर कांपते हुए भी पलवल शाख को मजबूती से थामें रहता है। हमें भी यही सिखाता है।

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    1. जी अमृता जी यही तो जीवन की जीजिविषा है जो संबल प्रदान करती है । तहेदिल से आभार इतनी सुन्दर बात कहने के लिए ।

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  10. बहुत गहन भाव लिए प्रतिकात्मक रचना! ये सब जीवन की विसंगतियाँ हैं मीना जी, नैराश्य के भाव क्यों मुखरित है ?
    एक कांपते पल्लव का संदेश है कि देखो बहार आने वाली है।
    बहुत सुंदर सृजन है थोड़े में गहन कहना आपकी कलम की बिहारी सी उपलब्धी है।
    सस्नेह साधुवाद।

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    उत्तर
    1. जहां न पहुंचे रवि ..वहां पहुंचे कवि ! आपकी प्रतिक्रिया आशावाद की ओर संकेत करती है । स्नेहमयी सराहना के लिए हृदय से आभारी हूं । सस्नेह...

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  11. आसमां धुंधला सा है..

    जाग कर सोया सा है ।


    धुंए सी इस भोर में..

    दम हवा का घुट रहा है ।

    सुन्दर रचना

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुज ।

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  12. गहन अर्थ बयान करती हुई अभिव्यक्ति

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार भारती जी ।

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  13. जीवन है,निश्चित और पर नए पल्लव आएंगे । और बिटप हरा होगा । बहुत सुंदर,गूढ़ रचना ।
    अपना ख्याल रखिए प्रिय मीना जी, हमारा स्नेह और शुभकामनाएँ आपके साथ हैं ।

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  14. आपकी शुभकामनाएं और उत्साहवर्धन मेरा सदैव मनोबल संवर्धन करता है । सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।

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  15. आपकी रचना पढ़कर जॉन एलिया साब का शेर याद आया कि
    "रूह प्यासी कहाँ से आती है
    ये उदासी कहाँ से आती है।"

    बहुत सुंदर सृजन।
    समय साक्षी रहना तुम by रेणु बाला

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार रोहितास जी । आपके द्वारा की गई गहन समीक्षा बहुत सुन्दर और प्रभावी है ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"