पूजा की ऋचा लगती तुम ।
उदित भानु की अरुणिमा
आंगन में पाखी कलरव तुम ।
पूर्णचन्द्र की पूर्ण ज्योत्सना
इन्द्रधनुषी सुन्दरता तुम ।
उतुंग गिरि की उर्ध्व शिखा पर
हिम किरीट सी आभा तुम ।
मन प्राण बसी साँसें बन कर
सरगम की मधुर रागिनी तुम ।
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[ चित्र :- गूगल से साभार ]