रोज ही मिलती थी
वह...
बोरे सा कंधे पर डाले
स्कूल वाला बैग
एक अबूझ प्रतीक्षा में रत
जैसे अनजान डोर बंधी हो
हमारे दरमियान...
मुझे देखते ही
उसकी दंत पंक्ति चांदनी फूल सी
खिल जाती और हम दोनों
साथ-साथ
चल पड़ती अलग-अलग
गंतव्य की ओर...
एक दिन राह में
अपनी मुठ्ठी से उसने
भर दी मेरी मुठ्ठी
देखा तो ...
सुर्ख बेर थे मेरी अंजुरी में
खट्टे -मीठे और रसीले
पहली बार
मौन का अनावरण-
“हमारे खेत के हैं
अब की बार खूब लगे हैं”
-”मेरे साथ चलोगी”
व्यवहारिकता की व्यस्तता में
उसने मुझे कब छोड़ा
और मैंने उसे कब
याद नहीं…
मगर शरद में जब भी देखती हूँ
लाल,पीले,हरे बेरों की ढेरियां
वह…
मेरी स्मृतियों के कपाट
खटखटा कर
खड़ी हो जाती हैं मेरे सामने
और पूछती है-
“मेरे साथ चलोगी”
***
[चित्र:- गूगल से साभार ]
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के। लिए हार्दिक आभार सर!
हटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के। लिए हार्दिक आभार नीतीश जी!
हटाएंये मिठी स्मृतियां कभी साथ नहीं छोड़ती, गाहे-बगाहे याद आ ही जाती है, बचपन की सुनहरी यादों को समेटे बड़ी प्यारी रचना,सादर नमन मीना जी 🙏
जवाब देंहटाएंसत्य कथन कामिनी जी यादें अनमोल धरोहर होती हैं जीवन में...आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने सृजन को मान सम्पन्न सार्थकता प्रदान की । हृदय से आभार एवं सस्नेह वन्दन🙏🌹🙏
हटाएंउम्दा लेखन
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार मनोज जी।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(28-12-21) को मेहमान कुछ दिन का अब साल है"(चर्चा अंक4292)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच की चर्चा में सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार कामिनी जी !
हटाएंबहुत ही खूबसूरत यादों को व्यक्त करती सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार मनीषा जी!
हटाएं"चल पड़ती अलग-अलग
जवाब देंहटाएंगंतव्य की ओर...
एक दिन राह में
अपनी मुठ्ठी से उसने
भर दी मेरी मुठ्ठी"
वाह बहुत खूब
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार हर्ष महाजन जी।
हटाएंसुखद अनुभूति
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार अनीता जी!
हटाएंबचपन की यादें मीठे बेर सी अपना स्वाद यदाकदा छोड़ ही जाती हैं
जवाब देंहटाएंसत्य कथन अनीता जी यादें सचमुच अनमोल धरोहर होती हैं जीवन में... आपकी प्रतिक्रिया ने सृजन को मान सम्पन्न सार्थकता प्रदान की ।
हटाएंबहुत ही मधुर होती हैं ऐसी स्मृतियाँ
जवाब देंहटाएंभुलाले नहीं भूल पाते
लाजवाब सृजन
वाह!!!
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने सृजन को मान सम्पन्न सार्थकता प्रदान की । हृदयतल से सस्नेह आभार सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द अंतस को छूता।
सादर स्नेह
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने सृजन को मान सम्पन्न सार्थकता प्रदान की । हृदयतल से सस्नेह आभार अनीता जी!
हटाएंजीवन्त स्मृतियाँ । अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार अमृता जी ।
हटाएंवाह ……………मन के कोमल भावो का बहुत सुन्दर चित्रण किया है…………बेहद शानदार
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार अनुज ।
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