दूर से आती …,
‘विंड चाइम्स‘ की
घंटियों की आवाज़
बंद कमरे में भी बता जाती हैं
हवाओं का रुख...
संकेत देना कुदरत का
और फिर
संभल कर चलना
खुद का काम है
***
उलझनों के चक्रव्यूह से
बाहर निकलने लगी हैं
अब स्त्रियां…,
तारीफ़ करते इनके पति
सीधे सच्चे
साधक लगते हैं ।
साफगोई
बड़प्पन की प्रथम सीढ़ी है ।।
***
शून्य से ...
निर्वात में डूबी अभिव्यक्ति,
विराम चाहती है ।
विचार….,
मन आंगन के नीलगगन में,
खाली बादल से विचरते हैं ।
अच्छा प्रयास है मीना जी। आपकी पहली क्षणिका मुझे बहुत पसंद आई।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद जितेंद्र जी !
हटाएंशून्य से निर्वात में डूबी अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवाह!क्या खूब कही आपने।
बहुत बहुत धन्यवाद नीतीश जी !
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(१८-११-२०२१) को
' भगवान थे !'(चर्चा अंक-४२५२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद अनीता जी!
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 18 नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
मेरी रचना को पांच लिंकों का आनन्द में स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार रवीन्द्र जी🙏
हटाएंशून्य से ...
जवाब देंहटाएंनिर्वात में डूबी अभिव्यक्ति,
विराम चाहती है ।
विचार….,
मन आंगन के नीलगगन में,
खाली बादल से विचरते हैं ।
वाह क्या खूब लिखा है!
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार मनीषा जी !
हटाएंबहुत सुंदर मीना जी ,हर क्षणिका अपने गुण की तरह छोटे में गहन अर्थ समेटे,
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिनव अभिव्यक्ति।
सस्नेह।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया पा कर लेखनी सार्थक हुई । आपकी मान भरी उपस्थिति हेतु हृदय से आभार कुसुम जी !
हटाएंजीवन के हर परिदृष्य पर गहन अर्थ समेटे सारगर्भित और लाजवाब क्षणिकाएं ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया पा कर लेखनी सार्थक हुई । आपकी मान भरी उपस्थिति हेतु हृदय से आभार जिज्ञासा जी !
जवाब देंहटाएंशून्य से ...
जवाब देंहटाएंनिर्वात में डूबी अभिव्यक्ति,
विराम चाहती है ।
सुन्दर सृजन
हार्दिक आभार अनुज ।
हटाएंगहन अर्थों के साथ बहुत सुन्दर सारगर्भित क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंसंकेत देना कुदरत का
और फिर
संभल कर चलना
खुद का काम है
वाह!!!
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया पा कर लेखनी सार्थक हुई । आपकी मान भरी उपस्थिति हेतु हृदय से आभार सुधा जी !
हटाएंअलग भाव लिए तीनों लाजवाब क्षणिकाएं ... पर गहरी बात सहज कह रही हैं ... स्त्रियों को अब रोके रहना सम्भव भी नहीं है ... वो सदा से आगे हैं रहेंगी ...
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया पा कर लेखनी सार्थक हुई । आपकी मान भरी उपस्थिति हेतु हृदय से आभार नासवा जी!
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-3-22) को "सैकत तीर शिकारा बांधूं"'(चर्चा अंक-4374)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
विशेष प्रस्तुति में मेरी रचनाओं का चयन हर्ष और गर्व का विषय है मेरे लिए.., बहुत बहुत आभार कामिनी जी!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर आज भी लगता है अभी अभी नवल विचारों का निर्झर फूटा है।
जवाब देंहटाएंआपकी पुनः प्रशंसा पा कर अभिभूत हूँ कुसुम जी 🙏
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