कुछ दिनों से
खुद ही हारने लगी हूँ
अपने आप से
दर्द है कि घर बना बैठा
तन में…,
घिरते बादलों और डूबते सूरज
को देखते-देखते
ठंड बाँध देती है
मेरे इर्दगिर्द
दर्द और थकन की चादर
ज्यों ज्यों गोधूलि की चादर
लिपटती है धरा की देह पर
मन छूने लगता है
झील की अतल गहराई
भोर के इन्तज़ार में
नौका पर सवार मांझी
चंद शफरियों की टोह में
ज्यों ही दिखता है
तब….,
बादलों से भीगा
गीला सा एक विचार
थपकियों के साथ देता है
स्नेहिल धैर्य…,कि
इस रात की भी
कभी तो सुबह होगी
***
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 18 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!मीना जी ,खूबसूरत सृजन ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन मीना जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव । मन को छू गई ये कृति मीना जी ।
जवाब देंहटाएंइस रात की भी कभी तो सुबह होगी। इस धैर्यपूर्ण आशा को अपने मन में अक्षुण्ण बनाकर रखना ही बहुत बड़ी बात है मीना जी। अगर इंसान को लगने लगे कि इस रात की सुबह नहीं तो उस रात को काटना दूभर हो जाता है, एक-एक पल पहाड़-सा लगने लगता है। और हाँ, अपने आपसे हारने से बड़ी कोई हार नहीं। इससे बचना बहुत ज़रूरी है। आपकी कविता के शब्द-शब्द को अनुभूत किया है मैंने। अपने मन-की-सी बात लगी मुझे।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२१-१०-२०२१) को
'गिलहरी का पुल'(चर्चा अंक-४२२४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वाह
जवाब देंहटाएंइस रात की सुबह होगी
सत्य
अब इसी सुबह का ििइंतेजार है
इस रात की भी कभी तो सुबह होगी''
जवाब देंहटाएंनिश्चित तौर पर होगी !
सकारात्मकता तक ले जाती सुन्दर भावपूर्ण रचना!
जवाब देंहटाएंबादलों से भीगा
जवाब देंहटाएंगीला सा एक विचार
थपकियों के साथ देता है
स्नेहिल धैर्य…,कि
इस रात की भी
कभी तो सुबह होगी
तन मन के ऐसे दर्द में बीते दर्द भी यादों में आकर नकारात्मता फैलाते है...ऐसे में सकारात्मक भाव सुबह का इंतजार बहुत बड़ी बात है अपने आप में...फिर साथ ही सृजनात्मक रुचि बनाए रखना और भी बड़ी बात...
नमन आपके धैर्य एवं सकारात्मकता को।
लाजवाब सृजन।
मीना दी, हर रात के बाद सुबह जरूर होती है। सकारात्मक संदेश देती सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआप सबका बहुत बहुत आभार सृजन को मान प्रदान करने हेतु । आप सबकी प्रतिक्रियाएं मेरी लेखनी थी ऊर्जा है ।
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