अभी-अभी तो राह मिली थी
एक-दूजे को जानें कितना
एक जन्म छोटा लगता है
नेह गहरा सागर के जितना
अनुमानों की राह पकड़ के
पर्वत पार करेंगे कैसे
चंद दिनों के संग साथ से
हमराही हम होंगे कैसे
घर- आंगन के हर कोने से
स्मृतियों के तो तार जुड़े है
कौन तार गठरी में बाँधू
सब के सब अपने लगते हैं
इसमें अलग बात कौन सी
दुनिया की यह रीत पुरानी
कठिन लगी होगी यह मुझको
पर जीवन की यही कहानी
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