गर्मजोशी से लबरेज़
तुम्हारा स्टेटस...
पुराने सन्दूक में छिपाये
उपन्यास जैसा लगा
मुझे वो भी प्रिय था
और तुम भी
तुम से
जुदाई के वक्त
अपने नेह पर
यकीन की खातिर
एक बार कहा था-
तुम ऑक्सीजन हो
हमारे खातिर
हमारी प्राणवायु….
आज तुम्हें देख कर
लगता है
तुम तो किसी और आंगन में
तुलसी,मनीप्लान्ट,
पीपल,बरगद
सब कुछ हो…
हम तो बस उस
पुराने वादे के साथ
निर्वात में जी रहे हैं
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