सूखी रेत के
ढूह पर…,
तुम्हारा मन है कि
तुम बनाओ
एक घरौंदा
तो बनाओ ना…,
रोका किसने है
छागल में अभी भी
बाकी है
पानी की बूँदें,
एक घरौंदे की
गीली रेत जितनी
आज...
समय और फुर्सत से
कर लो अपना
ख़्वाब पूरा
तुझमें - मुझमें
बाकी है अभी
इतना हौसला कि
पहुँच जाएंगे कुएँ के पास
या फिर …,
खोद लेंगे एक कुँआ
अपनी छोटी सी
प्यास की खातिर
***
【चित्र : गूगल से साभार】
वाह👌🌼
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार शिवम् जी 🙏
हटाएंतुझमें - मुझमें
जवाब देंहटाएंबाकी है अभी
इतना हौसला कि
पहुँच जाएंगे कुएँ के पास
या फिर …,
खोद लेंगे एक कुँआ
अपनी छोटी सी
प्यास की खातिर
वाह !! क्या बात कही है,होसलो को उड़ान देती आपकी लाजबाब रचना मीना जी,सादर नमन आपको
उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !सादर वन्दे ।
हटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर 🙏
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०९-०७-२०२१) को
'माटी'(चर्चा अंक-४१२१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चा मंच पर सृजन को मान देने के लिए हृदय से आभार अनीता जी!
हटाएंक्या बात !!! बस ऐसे ही हौसले की दरकार है जीवन में ।
जवाब देंहटाएंजो कुआँ खोद ले फिर वो क्या नहीं कर सकता ।
सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
आपकी सराहना लेखन के प्रति नवीन ऊर्जा प्रदान करती है मैम!सादर आभार 🙏🌹
हटाएंखोद लेंगे एक कुँआ
जवाब देंहटाएंअपनी छोटी सी
प्यास की खातिर
बहुत सुंदर प्रिय मीना जी 👌👌👌
लोक जीवन में तुरंत कुंआ खोदकर पानी पीने को बहुत जीवट और कर्मठ लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है। ऐसे हौंसले मरुभूमि पर हरियाली का स्वप्न साकार करते हैं। भावपूर्ण अभिव्यक्ति जिसमें अनुराग का रंग गहरा है। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आपको।
आपकी सारगर्भित सृजन को मुखर करती प्रतिक्रिया ने सृजन का मान बढ़ाया हृदय से असीम आभार प्रिय रेणु जी 🙏🌹
हटाएंबहुत सुंदर रचना,जल की महत्ता समझाती तथा साहस का दामन न छोड़ने का आग्रह करती उत्कृष्ट रचना।
जवाब देंहटाएंमनोबल संवर्द्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार जिज्ञासा जी🙏🌹
हटाएंसही राह दिखाने वाली कविता है यह आपकी मीना जी। इसके स्थूल एवं सूक्ष्म दोनों ही भाव समझने तथा ग्रहण करने योग्य हैं।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित और सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया ने सृजन को मान और सार्थकता प्रदान की । आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार जितेन्द्र जी ।
हटाएंवाह!मीना जी ,बहुत खूबसूरत ,मनोबल बढाता हुआ सृजन ।
जवाब देंहटाएंमनोबल संवर्द्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार शुभा जी !
हटाएंबेहद गहन रचना है मीना जी...। यह यूं ही नहीं मंथी जा सकती हैं...मेरी शुभकामनाएं स्वीकार कीजिएगा...। यह रचना अगले अंक में अवश्य लेंगे, आप मेल या व्हाटसऐप कर दीजिएगा प्लीज।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया एवं रचना चयन हेतु बहुत बहुत आभार संदीप जी 🙏
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमनोबल संवर्द्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार उषा जी!
हटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार सर!
हटाएंकिसने रोका है ...
जवाब देंहटाएंये मन का द्वन्द होता है जो रोकता है, कभी हिम्मत देता है ...
बहुत बाखूबी उतारा है इसे आपने रचना में ...
मनोबल संवर्द्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार नासवा जी!
हटाएंऐसी ही जिद हो तो फिर प्यास की तृप्ति के लिए क्या कहना । बहुत ही बढ़िया कहा ।
जवाब देंहटाएंसृजन को पूर्णता प्रदान करती प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार अमृता जी🙏🌹🙏
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