जी करता है किसी से आज मिलके देखें,
कर दें उन्हें हैरान सामने जा करके देखें ।
खैर न खबर उनकी बीते जमाने से,
अपनों से मिलें और बात करके देखें ।
उनको लगा कभी हम नहीं थे उनके साथ,
करते हैं वो कितना याद जाँच करके देखें ।
दोस्ती में मिला हमें बेमालूम सा एक नाम,
तोहफे में उनका नाम उन्हीं पर रख करके देखें ।
झील के उस पार फिर निकलेगा पूरा चाँद,
फुर्सत बहुत है आज जरा टहल करके देखें ।
कौमुदी की छांव और परिजात के फूल,
दिल अजीज मंज़र को जी भर करके देखें ।
दोस्तों की महफिल में जरा बैठ करके देखें,
कुछ दिन अपनों के बीच बसर करके देखें ।
***
वाह मीना जी
जवाब देंहटाएंक्या बात है।
"...कितनक करते हैं वो याद जांच करके देखें"
गजब।
नई पोस्ट 👉 पुलिस के सिपाही से by पाश
उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद रोहित जी । आपकी नई पोस्ट में कवि पाश के व्यक्तित्व और कृतित्व का परिचय मिली इनका सृजन बहुत हृदयस्पर्शी है ।
हटाएंवाह!गज़ब दी 👌
जवाब देंहटाएंखैर न खबर उनकी बीते जमाने से,
जा कर उन्हीं के पास हैरान करके देखें।...वाह!हर बंद सराहनीय।
आपकी उत्साहवर्धित करती प्रतिक्रिया सृजन के प्रति ऊर्जा का संचार करती है । हृदयतल से असीम आभार अनीता जी।
हटाएंकौमुदी की छांव और परिजात के फूल,
जवाब देंहटाएंदिल अजीज मंज़र को जी भर करके देखें ।
दोस्तों की महफिल में जरा बैठ करके देखें,
कुछ दिन अपनों के बीच बसर करके देखें ।
क्या बात है !!मीना जी,मेरे दिल में भी ये ख्वाहिश जगा दी आपने -"कौमुदी की छांव और परिजात के फूलों के बीच दोस्तों की महफ़िल "सोच के ही आन्नद आ गया। सच,तन्हा बैठे-बैठे अब ऊब रहा है मन। पता नहीं कब ये कैद खत्म होगी। सादर नमन आपको
नव उत्साह का संचार करती ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से असीम आभार कामिनी । सादर वन्दे ।
हटाएंमन तो ऐसा हमारा भी करता है मीना जी। जो संभव हो सके, अवश्य कीजिए। जब दिल की बात ज़ुबां पर आ ही गई है तो हर मुमकिन अमल करने से क्या परहेज़?
जवाब देंहटाएंकोरोना काल में विगत स्मृतियों के गलियारों मन कई बार पहुँचता है ..उसी ने इस सृजन के लिए प्रेरित किया । हृदय से आभार जितेन्द्र जी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंबहुत उम्दा अस्आर है मीना जी हर शेर लाजवाब सीधे कुछ कहता सा दिमाग से दिल में उतरता सा।
जवाब देंहटाएंशानदार सृजन।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया ने सृजन को पूर्णता प्रदान की कुसुम जी । हृदयतल से आभार ।
हटाएं
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 30 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
"पांच लिंकों का आनन्द" में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार पम्मी जी ।
हटाएंआपकी सुन्दर और मन को छूती रचना सामयिक भी है, हम पहले ही,अपने में कुछ ज्यादा बिजी थे अब तो महामारी का बहाना है,तो एक एहसासों और भावों भरा मन किसी अपने से मिलने के लिए आतुर हो ही जाएगा,वैसे हम तो हाज़िर हैं,आप से मोलने के लिए,अपने शब्दों द्वारा ही सही पर हाजिर हैं।आप के लिए कुछ पंक्तियां...
जवाब देंहटाएंचलो दोस्त फिर से मुस्कुरा लें ।
ज़्यादा नहीं बस थोड़ा सा,
अपने लिए वक़्त निकालें ।
चलो दोस्त फिर से मुस्कुरा लें ।।
याद करें वो घड़ियाँ,
जब खेलते थे हम ताई की बनाई गुड़ियाँ,
मन की ढेरों यादों से,
अपनी कुछ नन्ही सी यादें चुरा लें ।
चलो...
याद करें वो स्कूल के दिन,
खो खो खेलते,कंचे रखते गिन गिन,
झिलमिलाते कंचों सी,
अपनी यादें रंगीं बना लें ।
चलो...
याद तो होगा ही झूलों पे लम्बी पेंगें लगाना,
हरे लाल गुलाबी दुपट्टों का लहराना,
पत्तियों की न सही कीप से ही,
मनमोहक मेहंदी रचा लें ।
चलो...
याद है मुझे मेरी हर ख़ुशी में तुम्हारा ख़ुश होना,
मेरे छोटे से ग़म में मुझसे पहले रोना,
यादों के मोतियों को पिरो,
माला बना सीने से लगा लें ।
चलो...
दोस्त तो दोस्त होते हैं हमेशा,
कोई रिश्ता नहीं होता उनसा,
साल भर न सही बस एक दो पल ही,
एक दूसरे को आँखों में बसा लें ।
चलो...
**जिज्ञासा सिंह
*मोलने/मिलने
जवाब देंहटाएंअभिभूत और निशब्द हूँ जिज्ञासा जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए ...,
हटाएं"आप से मोलने के लिए,अपने शब्दों द्वारा ही सही पर हाजिर हैं।आप के लिए कुछ पंक्तियां...
चलो दोस्त फिर से मुस्कुरा लें ।
ज़्यादा नहीं बस थोड़ा सा,
अपने लिए वक़्त निकालें ।
चलो दोस्त फिर से मुस्कुरा लें ।।"
आपका स्नेह मन मंजूषा में दुर्लभ धरोहर के रूप में रहेगा सदैव 🙏🌹🙏
आपकी कविता ने मन मोह लिया साथ ही मेरे सृजन को भी पूर्णता दी । हृदय से असीम आभार ।
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (३०-0६-२०२१) को
'जी करता है किसी से मिल करके देखें'(चर्चा अंक- ४१११) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चा मंच की प्रस्तुति में सृजन को सम्मिलित करने के लिए
हटाएंबहुत बहुत आभार अनीता जी।
दोस्तों की महफिल में जरा बैठ करके देखें,
जवाब देंहटाएंकुछ दिन अपनों के बीच बसर करके देखें ।
सच में हर मन की बात कही है आपने इतने लम्बे अन्तराल तक अपनों से न मिल पाने से मन छपपटा रहा है...
बहुत ही सुन्दर लाजवाब सृजन।
बहुत बहुत आभार सुधा जी ! आपकी अपनत्व भरी प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थकता प्रदान की ।
हटाएंदोस्तों की महफिल में जरा बैठ करके देखें,
जवाब देंहटाएंकुछ दिन अपनों के बीच बसर करके देखें ।
वाह बेहतरीन सृजन सखी।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार सखी!
हटाएंदोस्तों की महफिल में जरा बैठ करके देखें,
जवाब देंहटाएंकुछ दिन अपनों के बीच बसर करके देखें
बेहद सुंदर पंक्तियां
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार भारती जी!
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंसुंदर।
दोस्त तो दोस्त होते हैं हमेशा,
कोई रिश्ता नहीं होता उनसा,
साल भर न सही बस एक दो पल ही,
एक दूसरे को आँखों में बसा लें ।
चलो...
सुन्दर और हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सधु चन्द्र जी!
हटाएंदोस्ती में मिला हमें बेमालूम सा एक नाम,
जवाब देंहटाएंतोहफे में वहीं नाम उनका रख करके देखें ।
बहुत सुंदर...
हृदयस्पर्शी...
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ शरद जी । आपकी उपस्थिति से सृजन को सार्थकता मिली ।
हटाएंझील के उस पार निकला है चाँद ...
जवाब देंहटाएंये टहलना कितनी यादों से मिला लाता है ... भावपूर्ण रचना ...
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ नासवा जी । आपकी उपस्थिति से सृजन को सार्थकता मिली ।
हटाएंवाह! बहुत सुन्दर रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार डॉ.जेन्नी शबनम जी 🙏🌹🙏
हटाएंवाह , बहुत शानदार ग़ज़ल । काश ये मिलना मिलाना हो पाता ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार मैम 🙏🌹
जवाब देंहटाएंवाह! उम्दा ।
जवाब देंहटाएंनव उत्साह का संचार करती ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से असीम आभार अमृता जी!
जवाब देंहटाएं