शुक्ल पक्ष की चाँदनी में
भीगी रातें..,
जब होती हैं
अपने पूरे निखार पर
तब...
रात की रानी
मिलकर
रजनीगंधा के साथ
टांक दिया करती हैं
उनकी खूबसूरती और
मादकता में
चार चाँद ..
उन पलों के आगे
कुदरत का
सारा का सारा
सौन्दर्य
ठगा ठगा
और
फीका फीका सा लगता हैं
फूलों का राजा
गुलाब
तो बस यूं हीं ..,
गुरूर में
ऐंठा-ऐंठा फिरा करता है ।
***
वाह!गज़ब दी।
जवाब देंहटाएंमुग्ध करता सृजन।
सादर
हृदय से असीम आभार आदरणीय प्रिय अनीता जी ।
हटाएंस्नेह बनाए रखें।
बहुत सुंदर रचना,मीना दी।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय ज्योति बहन।
हटाएंस्नेह बनाए रखे।
बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला । हार्दिक आभार सर!
हटाएंरात की रानी
जवाब देंहटाएंमिलकर
रजनीगंधा के साथ
टांक दिया करती हैं
उनकी खूबसूरती और
मादकता में
चार चाँद ..
बहुत खूब,ये नज़ारा मैंने भी देखा...उस पल के नजारे के आगे सचमुच गुलाब फीका लगता है...मीना जी, आपने तो मेरे बचपन की याद दिला दी जब रजनीगंधा और रातरानी महका करती थी मेरे बगीचे में,आपकी कविता के माध्यम से मैं फिर से उस पल की खुशबु और मादकता को महसूस कर पा रही हूँ..बेहद प्यारी रचना..बहुत बहुत आभार आपका बीते लम्हों से मिलवाने के लिए ,सादर नमन मीना जी
लेखन सफल हुआ प्रिय कामिनी जी आपकी इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया पाकर । हृदयतल से असीम आभार । सादर नमन।
हटाएंभीगी रातों का सौन्दर्य और गुलाब का गुरूर ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कल्पना है ... बहुत खूब ...
सृजन को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया से लेखनी सफल हुई । हार्दिक आभार नासवा जी ।
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१२-०६-२०२१) को 'बारिश कितनी अच्छी यार..' (चर्चा अंक- ४०९३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चा मंच पर सृजन को मान देने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी।
हटाएंबहुत ही सुन्दर,रात का सौन्दर्य चांद की सुंदरता और गुलाब का ऐंठना,मन का ठगा जाना स्वाभाविक है
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना पाकर लेखन सफल हुआ । हार्दिक आभार भारती जी!
हटाएंबहुत सुंदर ! गुलाब भले ही गुलाब हो पर रात की उस मदहोशी का आलम ही कुछ और होता है
जवाब देंहटाएंसृजन सार्थक हुआ आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से..,,बहुत बहुत आभार सर !
हटाएंफूलों का राजा
जवाब देंहटाएंगुलाब
तो बस यूं हीं ..,
गुरूर में
ऐंठा-ऐंठा फिरा करता है ।---वाह बहुत ही अच्छी रचना है मीना जी...।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार संदीप जी ।
हटाएंप्रकृति ने किसी को सौंदर्य दिया है, किसी को रंग दिया है, किसी को खुश्बू दी है और किसी को आकार दिया है....सभी किसी एक हिस्से नहीं हैं, हम प्रकृति रचने वाले उस परमात्मा को समझें तो हम खोए ही रह जाएंगे उस तत्व के सत तक पहुंच ही नहीं पाएंगे क्योंकि कितने रंग कितनी खुश्बू कितने आकार, कितने पत्ते, कितने फूल....ओह और हम इंसान....। बहुत खूबसूरत रचना के लिए खूब बधाई आपको मीना जी।
जवाब देंहटाएंआपकी गहन समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हृदयतल से असीम आभार ।
हटाएंसच और खरा सा सच...यही है...। बहुत अच्छी रचना है।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद संदीप जी ।
हटाएंवाह मीना जी! मुग्ध कर दिया आपके अप्रतिम भाव सृजन ने।
जवाब देंहटाएंरात रानी महकती भी ऐसे हैं और उस पर सीली सी चाँदनी रात, गजब का सौंदर्य बोध बेचारा राजा भी ठगा रह जाता है ,रानी के सौंदर्य के सामने ।
शानदार बिंब।
अप्रतिम सृजन।
आपकी प्रतिक्रिया सदैव नवऊर्जा का संचार कर लेखनी का मान बढ़ाती है और मन मे सृजन के प्रति नव उत्साह का संचार करती है। बहुत बहुत सा आभार कुसुम जी । सस्नेह वन्दे ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार सखी!
हटाएंबेहतरीन,🌻
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार शिवम् जी!
हटाएंरजनीगंधा के साथ
जवाब देंहटाएंटांक दिया करती हैं
उनकी खूबसूरती और
मादकता में
चार चाँद ..
बहुत ही लाजवाब सृजन
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार अनुज।
हटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति,बहुत बधाई मीना जी ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंबहुत सुंदर मीना जी। कोई संदेह नहीं है इसमें कि आपने प्रकृति के उस सौंदर्य को जो रात्रि में ही अनुभूत होता है, अपने शब्दों में जीवंत कर दिया है।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । बहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी!
हटाएंवाह बहुत ही सुंदर एवं सारगर्भित रचना
जवाब देंहटाएंबहुत समय के बाद आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया मिली ।
हटाएंहार्दिक आभार 🙏