ईर्ष्या और रंजिश के भाव...
फसल के रुप में उगते तो नहीं ।
बस अमरबेल से पल्लवित हो जाते हैं ।
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हाथ मिलाने भर से क्या होना है..,
गले लग कर भी अपनापा महसूस नहीं होता ।
दिल की जमीनें भी अब ऊसर होना सीख गई है ।।
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ऑनलाइन मंगवाया सामान कभी कभी…,
दरवाजों पर पड़ा पूछता सा लगता है कुशलक्षेम ।
कभी-कभी संवेदनाएँ यूं भी दिखती हैं ।।
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शहर और गाँव उदास व गमगीन हैं..,
इन्सान भी हताशा और निराशा में डूबा है ।
'कोरोना' को फिर से भूख लगी है ।।
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हर त्रिवेणी बहुत कुछ कह रही है ।अमरबेल का रूपक सर्वथा उचित है ।
जवाब देंहटाएंकोरोना को भूख लगी है .... ये भूख कितनी भयावह है ।
अच्छी पोस्ट
हृदयतल से असीम आभार संगीता जी 🙏 आपकी प्रतिक्रिया मन के बहुत करीब होती है। कोरोना की भयावहता.. जीवन की नश्वरता ने नैराश्य भाव जागृत कर दिया चारों तरफ। सभी सुखी और स्वस्थ रहे यही कामना है।
हटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर!
हटाएंबहुत कुछ कह जाती त्रिवेणियाँ....
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार विकास जी!
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 26-04 -2021 ) को 'यकीनन तड़प उठते हैं हम '(चर्चा अंक-4048) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सृजन को चर्चा मंच की चर्चा में सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार रवीन्द्र सिंह जी । सादर।
हटाएंवाह,बहुत बढ़िया लिखा है अपने।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार शिवम् जी!
हटाएंआपकी लिखी कोई रचना सोमवार 26 अप्रैल 2021 को साझा की गई है ,
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
पांच लिंकों का आनंद पर सृजन को साझा करने के लिए हार्दिक आभार संगीता जी । सादर नमन🙏
हटाएंअमर बेल एक परजीवी पादप होते हैं। इन्हें समूल नष्ट कर ही मुख्य वृक्ष की रक्षा संभव है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना हेतु साधुवाद आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ..हृदय से असीम आभार आ.पुरुषोत्तम जी🙏
हटाएंbhavaniya rachana , sadar naman!
जवाब देंहटाएंAbhar!
स्वागत आपका 'मंथन'पर। बहुत बहुत आभार सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु ।
हटाएंवाह!मीना जी ,बेहतरीन सृजन ।
जवाब देंहटाएंआपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ शुभा जी! बहुत बहुत आभार।
हटाएंआदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंकोरोना काल की स्थिति का भयावह वर्णन मानो हर एक व्यक्ति के मन के भीतर
के भय और असहाय भाव को उकेर रहा है । अब भगवान जी यही प्रार्थना है कि इस महामारी का नाश हो और इस दुखद समय का अंत हो ।
सभी स्वस्थ्य रहें..सुरक्षित रहें.. यही कामना है अनंता जी! आपका हृदय से स्वागत है ब्लॉग पर..हम सभी ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि इस भयावह महामारी का नाश हो...सभी सुखी,स्वस्थ व प्रसन्न रहें।
जवाब देंहटाएंचेतना का सूक्ष्म अभिव्यंजना वर्तमान को एक अलग ही अर्थ प्रदान कर रहा है । प्रभावी लेखन ।
जवाब देंहटाएंआपकी उत्साह प्रदान करती प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ अमृता जी! बहुत बहुत आभार।
हटाएंबिल्कुल सच कहा आपने, कि कोरोना को फिर से भूख लगी है,
जवाब देंहटाएंदेखिए न ये भूख कितनी विशाल है,जो इंसान को तन मन और धन से खोखला करने के बाद भी जिंदा रहना मुश्किल किए है । समसामयिक,और यथार्थ का सुंदर सम्मिश्रण है आपकी ये रचना ,बहुत बधाई आपको मीना जी ।
आपकी मर्मस्पर्शी प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ
हटाएंजिज्ञासा जी! बहुत बहुत आभार। आपका।
एक से बढ़कर एक त्रिवेणी...सभी दिल को छूती और कुरेदती हैं... शानदार लिखा मीना जी
जवाब देंहटाएंआपकी उत्साह प्रदान करती प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ अलकनंदा जी! बहुत बहुत आभार ।
हटाएंशहर और गाँव उदास व गमगीन हैं..,
जवाब देंहटाएंइन्सान भी हताशा और निराशा में डूबा है
'कोरोना' को फिर से भूख लगी है ।।
प्रिय मीना जी, कोरोना का दुबारा लौट आना उसकी भयावहता का परिचायक है! बहुत मार्मिक लेखन कोरोना के बहाने से! निशब्द हूँ 🙏🙏😔
आपकी मर्मस्पर्शी प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ प्रिय रेणु जी । कोरोना की भयावहता मर्माहत करने के साथ सभी का सुख-चैन छीने हुए है और हम सब व्यथित है ।
हटाएंकरोना को फिर से भूख लगी है ...
जवाब देंहटाएंक्या बात हद दी इन तीन पंक्तियों में आपने ...
हर बात गहरी, नया मोड़ देती हुई ...
सृजन सार्थक हुआ आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया से..हृदयतल से बहुत बहुत आभार आपका.
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