निर्जन वन~
सूखे पोखर पर
गज समूह ।
*
रेतीले धोरे ~
बाला के सिर पर
खाली गागर ।
*
ज्येष्ठ मध्याह्न~
पदचिह्न छोडती
खेत में वृद्धा ।
*
लू की लहर ~
बरगद के नीचे
दुर्बल गैया ।
*
भूरी सैकत ~
ऊँट की पीठ पर
प्रेमी युगल ।
*
चाँदनी रात~
कालबेलिया नृत्य
मरूभूमि में ।
*
गोधूली बेला~
तुलसी चौरे पर
जलता दीया ।
***
मर्म लिए हाइकु । गर्म का एहसास कराते हुए ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति
तहेदिल से शुक्रिया आ.संगीता जी ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (11-04-2021) को "आदमी के डसे का नही मन्त्र है" (चर्चा अंक-4033) पर भी होगी। --
जवाब देंहटाएंसत्य कहूँ तो हम चर्चाकार भी बहुत उदार होते हैं। उनकी पोस्ट का लिंक भी चर्चा में ले लेते हैं, जो कभी चर्चामंच पर झाँकने भी नहीं आते हैं। कमेंट करना तो बहुत दूर की बात है उनके लिए। लेकिन फिर भी उनके लिए तो धन्यवाद बनता ही है निस्वार्थभाव से चर्चा मंच पर टिप्पी करते हैं।
-- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
चर्चा मंच पर सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आ. सर!
हटाएंबहुत अच्छे हाइकु रचे हैं आपने आदरणीया मीना जी। निस्संदेह प्रशंसनीय्।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ जितेन्द्र जी!
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 11 अप्रैल 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार दिव्या जी!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भाव लिए हुए हाइकु के लिए बधाई हो । अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रशंसा से सृजन को सार्थकता मिली अमृता जी । हृदय से असीम आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सर!
हटाएंसुन्दर हाइकु..
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार विकास जी!
हटाएंबहुत ही सुंदर।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शिवम् जी!
हटाएंसुंदर भावों भरे हाइकु,सार्थक सृजन ,सादर शुभकामनाएं आदरणीय मीना जी ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंबहुत सुन्दर हाइकु
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार ज्योति जी!
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जवाब देंहटाएंगोधूली बेला~
तुलसी चौरे पर
जलता दीया ।
बहुत ही सुंदर सृजन मीना जी,सादर नमन
आपकी प्रशंसा से सृजन को सार्थकता मिली कामिनी जी । हृदय से असीम आभार ।
हटाएंअति सुंदर छोटी पंक्तियों के बड़े अर्थ
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार विमल जी!
हटाएंबहुत सुंदर हाइकु मीना जी | गागर में सागर सरीखे -- ये दो तो बहुत ही पसंद आये ---
जवाब देंहटाएंभूरी सैकत ~/ऊँट की पीठ पर/प्रेमी युगल ।//
गोधूली बेला~//तुलसी चौरे पर//जलता दीया ।
हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |
आपकी प्रशंसा से सृजन को सार्थकता मिली रेणु जी । हृदय से असीम आभार ।
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर हाइकु रचे हैं
बधाई
सराहना सम्पन्न उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति सर!
हटाएंबहुत ही सुंदर, सभी अपने मे पूरे , हार्दिक बधाई हो, नवरात्रि की ढेरों बधाई हो आपको,
जवाब देंहटाएंस्नेहिल आभार ज्योति जी ! नवरात्रि पर्व की आपको भी बहुत बहुत बधाई ।
हटाएंगहरे हैं सभी हाइकू ... प्रखर भाव लिए ...
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नासवा जी!
हटाएंबहुत सुंदर हैं! तुलसी चौरा विशेष रूप से
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका🙏
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