गहमागहमी..
बेतहाशा हताशा
के दौर में ..
मन की निराशा
किसी कलमकार के
मन की..
अंत:सलिला
बन बहती है
काग़ज और कलम
के साथ
नहीं उकेरे जाते
चंद अक्षर..
एक संगतराश
जैसे हाथ मिलते हैं
दिलो-दिमाग के साथ
और
अनगढ़ से भावों को
तराशते हैं ..
अभिव्यक्ति में
जो दीप्त है
ऊषा किरण सी
खिलते पुष्प सी
कभी-कभी
अश्रुबिंदु सी..
ढलती हैं
करूणा के सागर में
तब जा कर …
सृजित होती है
शिशु मुस्कान सी
एक कविता..
***
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 05 मार्च 2021 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं"सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" रचना साझा करने हेतु सादर आभार यशोदा जी।
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०३-२०२१) को 'निसर्ग महा दानी'(चर्चा अंक- ३९९७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
चर्चा मंच पर रचना को प्रस्तुति में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी ।
हटाएंतब जा कर सृजित होती है''
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
सराहना भरे शब्दों के लिए हार्दिक आभार सर !
हटाएंहर सृजन में पीड़ा होती है । बिना दर्द कैसे हो नव सृजन ।
जवाब देंहटाएंकविता का प्रादुर्भाव कैसे होता है ,खूबसूरत शब्दों में बयाँ किया है ।
आपकी हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया से लेखनी को मान मिला.. हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीया संगीता जी 🙏🙏
हटाएंप्रसव पीड़ वो ही जाने, जिसे पीड़ सहा हो।।।। आपने कवि के मनोभावों को शब्दों में खूबसूरती से पिरोया है।
जवाब देंहटाएंसाधुवाद आदरणीया मीना जी।
आपकी हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया से लेखनी को मान मिला.. हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीय पुरुषोत्तम जी 🙏🙏
हटाएंतब जा कर …
जवाब देंहटाएंसृजित होती है
शिशु मुस्कान सी
एक कविता..
बिलकुल सही...।
बहुत अच्छी, हृदयग्राही कविता
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया मेरी लेखनी के लिए सम्बल है वर्षा जी !हार्दिक आभार 🌹🙏🌹
हटाएंमीना जी
जवाब देंहटाएंकविता का होना मतलब प्रसवपीड़ा से होकर गुजरना है।
यूं ही शब्दों के ढेर को कविता नहीं कहा जा सकता।
कविता कोई जीवित हस्ती है।
आपने कमाल लिखा है।
गुजरे वक़्त में से...
सृजन पर सारगर्भित प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली ..आपकी अनमोल टिप्पणी के लिए हृदय से आभारी हूँ रोहित जी । सदैव की तरह आपकी रचना "गुजरे वक्त में से.. गहन चिंतन लिए लाजवाब कृति है ।
हटाएंबहुत अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंसराहना भरे शब्दों लेखन को मान मिला हार्दिक आभार सर
हटाएंबहुत सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंसराहना भरे शब्दों के लिए हार्दिक आभार सर !
हटाएंतब जा कर …
जवाब देंहटाएंसृजित होती है
शिशु मुस्कान सी
एक कविता..
बहुत ही सुंदर लाज़बाब सृजन,सादर नमन आपको मीना जी
सराहना भरे शब्दों लेखन को मान मिला हार्दिक आभार कामिनी जी !
हटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंसराहना भरी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सखी!
हटाएंसच कहा आपने मीना जी,
जवाब देंहटाएंजाने कितने जज्बातों,झंझावातों ।
आंसुओं की बारातों । के साथ एक कविता का सृजन होता है ..सुंदर अभिव्यक्ति है आपकी ..नमन आपको ..
आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थकता प्रदान की...हृदयतल से आभार जिज्ञासा जी ।
हटाएंसुंदर सार्थक सृजन मीना जी, सच कहा आपने कविता का जन्म अपने आप में एक संघर्ष है , दिमाग और परिस्थितियों का संघर्ष जो पन्नों तक आकर उतने से पहले कितने पड़ावों से गुजरता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर गहन भाव।
सुंदर सृजन।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया मेरी लेखनी के लिए सम्बल है कुसुम जी!हार्दिक आभार 🌹🙏🌹
हटाएंसुंदर सृजन। एक कविता का सृजन कितना मुश्किल है अच्छे से समझ आ गया है। आपको महिला दिवस की ढेरों बधाइयाँ।
जवाब देंहटाएंआपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थकता प्रदान की
हटाएंवीरेंद्र जी । हार्दिक आभार प्रतिक्रिया एवं शुभकामनाओं हेतु🙏