जिद्दी सा हो गया मन
अब कहीं लगता ही नहीं
घर तो मेरा अपना है
मगर अपना लगता नहीं
सारी सोचें बेमानी सी है
लफ्ज़ों में बयां होती कहाँ हैं
की बहुत कहने की कोशिश
ढंग कोई जँचता नहीं
दिल की जमीन पर
घर की नींव धरी है
नटखट सा कोई गोपाल
अब वहाँ हँसता नहीं
स्मृतियों की वीथियाँ
भी हो रही हैं धूमिल
साथ का कोई संगी-साथी
अब वहाँ रहता नहीं
खाली-खाली सी बस्ती है
खाली चौक- चौपाल
परदेसी से इस आंगन में
अब कोई बसता नहीं
***
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 01 मार्च 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं"पांच लिंकों का आनन्द" में सृजन को साझा करने हेतु सादर आभार यशोदा जी!
हटाएंहृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जितेन्द्र जी!
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (01 -03 -2021 ) को 'मौसम ने ली है अँगड़ाई' (चर्चा अंक-3992) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
चर्चा मंच पर रचना सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आदरणीय रवींद्र सिंह जी।
हटाएंसुंदर सुकोमल भावनाओं की अनुपम अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंवाह!गज़ब का सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता जी! सस्नेह ।
हटाएंक्यों करो निराश दुखी मन को
जवाब देंहटाएंफिर दृढ़ता से नव-सृजन करो
मनोबल संवर्द्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!
हटाएंवाह!सखी मीना जी ,खूबसूरत सृजन ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शुभा जी!
हटाएंमार्मिक प्रस्तुति । कभी कभी लगता है बहुत खालीपन ।
जवाब देंहटाएंफिर भरेगा हर कोना । शुभकामनाएँ ।
मनोबल संवर्द्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार संगीता जी!
हटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन, मार्मिक और जोश देती हुई, बधाई
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुरेन्द्र शुक्ला जी ।
हटाएंखाली-खाली सी बस्ती है
जवाब देंहटाएंखाली चौक- चौपाल
परदेसी से इस आंगन में
अब कोई बसता नहीं
वाह !!लाज़बाब सृजन,कहाँ से लाती ये भाव आप,बेहतरीन अभिव्यक्ति सादर नमन मीना जी
मनोबल संवर्द्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला ।हार्दिक आभार कामिनी जी ! सस्नेहाभिवादन।
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी।
हटाएंहर शब्द सशक्त एवं हर पंक्ति प्रोत्साहित करती आप निश्चित रूप से बधाई की पात्र हैं इतनी सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंआपकी ऊर्जात्मक प्रतिक्रिया पा कर सृजन सार्थक हुआ । बहुत बहुत आभार अनुज!
हटाएंलाज़बाब सृजन
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार उर्मिला जी ।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सधु चन्द्र जी ।
हटाएंबहुत बढ़िया। बहुत सुंदर। आपको ढेरों बधाईयाँ। सादर।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार वीरेन्द्र जी।
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