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रविवार, 28 फ़रवरी 2021

"अब"


जिद्दी सा हो गया मन

अब कहीं लगता ही नहीं

घर तो मेरा अपना है 

मगर अपना लगता नहीं


सारी सोचें बेमानी सी है

लफ्ज़ों में बयां होती कहाँ हैं

की बहुत कहने की कोशिश

ढंग कोई जँचता नहीं


दिल की जमीन पर

घर की नींव धरी है

नटखट सा कोई गोपाल

अब वहाँ हँसता नहीं


स्मृतियों की वीथियाँ

 भी हो रही हैं धूमिल

साथ का कोई संगी-साथी

अब वहाँ रहता नहीं


खाली-खाली सी बस्ती है

खाली चौक- चौपाल

परदेसी से इस आंगन में

अब कोई बसता नहीं 


***

36 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 01 मार्च 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. "पांच लिंकों का आनन्द" में सृजन को साझा करने हेतु सादर आभार यशोदा जी!

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  3. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जितेन्द्र जी!

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  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (01 -03 -2021 ) को 'मौसम ने ली है अँगड़ाई' (चर्चा अंक-3992) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर रचना सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आदरणीय रवींद्र सिंह जी।

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  5. सुंदर सुकोमल भावनाओं की अनुपम अभिव्यक्ति ..

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी!

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता जी! सस्नेह ।

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  7. क्यों करो निराश दुखी मन को
    फिर दृढ़ता से नव-सृजन करो

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    1. मनोबल संवर्द्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!

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  8. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!

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  9. वाह!सखी मीना जी ,खूबसूरत सृजन ।

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शुभा जी!

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  10. मार्मिक प्रस्तुति । कभी कभी लगता है बहुत खालीपन ।
    फिर भरेगा हर कोना । शुभकामनाएँ ।

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    1. मनोबल संवर्द्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार संगीता जी!

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  11. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!

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  12. सुन्दर सृजन, मार्मिक और जोश देती हुई, बधाई

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुरेन्द्र शुक्ला जी ।

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  13. खाली-खाली सी बस्ती है

    खाली चौक- चौपाल

    परदेसी से इस आंगन में

    अब कोई बसता नहीं

    वाह !!लाज़बाब सृजन,कहाँ से लाती ये भाव आप,बेहतरीन अभिव्यक्ति सादर नमन मीना जी

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    1. मनोबल संवर्द्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला ।हार्दिक आभार कामिनी जी ! सस्नेहाभिवादन।

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  14. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी।

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  15. हर शब्द सशक्त एवं हर पंक्ति प्रोत्साहित करती आप निश्चित रूप से बधाई की पात्र हैं इतनी सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें

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    उत्तर
    1. आपकी ऊर्जात्मक प्रतिक्रिया पा कर सृजन सार्थक हुआ । बहुत बहुत आभार अनुज!

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  16. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार उर्मिला जी ।

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  17. बहुत बढ़िया। बहुत सुंदर। आपको ढेरों बधाईयाँ। सादर।

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  18. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार वीरेन्द्र जी।

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"